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कहानी उस रात की जब कीड़ों की तरह मर गए थे हजारों लोग

नई दिल्ली। भोपाल गैस कांड को 34 साल पूरे हो गए हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 34 साल पहले हुई गैस त्रासदी का दंश भोगने को अब भी लोग मजबूर हैं। कई बच्चे जन्म से ही विकलांग हैं। इन बच्चों ने अपने बुजुर्गो के साथ मोमबत्ती जलाकर दुनिया छोड़ गए लोगों को श्रद्धांजलि दी।

राजधानी के नीलम पार्क में चिंगारी पुनर्वास केंद्र के विकलांग बच्चों ने मोमबत्ती जलाकर अपनी श्रद्धांजलि दी। यहां पहुचे बच्चों में बड़ी संख्या में वे थे, जो जन्मजात विकलांग हैं। संस्था की प्रबंध न्यासी चंपा बाई और रशीदा बी ने बताया, “इन विकलांग बच्चों ने मोमबत्ती जलाकर दुनिया को संदेश दिया है कि भोपाल जैसी त्रासदी कहीं और न हो।”

3 दिसंबर 1984 की उस रात की यादें आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं जब भोपाल में हजारों लोग सोए तो थे लेकिन अगली सुबह लोग जागे ही नहीं। इस काली रात की आज तक सुबह नहीं हो सकी है। आज भी वह बीती तस्वीरें दिल दहला देती हैं।

बता दें कि तीन दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन आज तक पीड़ितों और पीड़ितों के परिजनों को इंसाफ नहीं मिल सका है। कई सरकारें बदल गईं, कोर्ट में सुनवाई चलती रही लेकिन आज भी उन लोगों को सजा नहीं मिल सकी है जो इसके पीछे के दोषी हैं।

अब भी इंसाफ के लिए संघर्ष जारी है। बता दें कि इस हादसे का खामियाजा पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भी भुगत रही है क्योंकि इसका असर पीड़ितों की तीसरी जनरेशन में भी दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से निकली गैस ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

कीड़ों की तरह हुई थी मौत

यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी से मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इसका उपयोग कीटनाशक के लिए किया जाता था। अचानक से काफी मात्रा में जहरीली गैस का रिसाव होने से यहां के लोगों की मौत भी कीड़ों की तरह हुई थी। इस हादसे की भयावह तस्वीरें आज भी लोगों का दिल दहला देती हैं। लोग आज भी उस मंजर को याद कर रो पड़ते हैं। इस हादसे में 1,50,000 लोग विकलांग और 16,000 लोग की मृत्यु हो गई थी।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH