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अक्षय तृतीया पर बन रह है दुर्लभ संयोग, जानें-किस मुहूर्त में लक्ष्‍मी पूजन है बेहद शुभ

बैशाख मास की तृतीया को बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस दिन गर्मियों की धनतेरस कहे जाने वाले अक्षय तृतीया के पर्व को मनाया जाता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। आज परशुराम जयंती भी है। आज के ही दिन त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। इसलिए इस यु गाडी तिथि भी कहते हैं। इस दिन बिना मुहूर्त निकाले कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं।हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है। आपको बता दें, मां मातंगी देवी और भगवान परशुराम का अवतरण भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था। भगवान विष्णु ने हयग्रीव और नर-नारायण का अवतार भी इसी तिथि को लिया था। यही वजह है कि यह तिथि भारतीय संस्कृति की सर्वोत्तम मुहूर्त का निर्माण करती है।

हिन्दू धर्म  के अनुसार, अक्षय तृतीया पर बुधादित्य योग के साथ सूर्य चंद्र और शुक्र का उत्च राशियों में होना विशेष फलदायी योग बनाता है।क्या खरीदें
इस दिन बिना किसी पंचांग के विवाह कार्य किया जा सकता है। साथ ही व्यापार आरम्भ, नींव पूजन, गृह प्रवेश, ऑफिस ओपनिंग, वाहन खरीद, जॉब ज्वाइनिंग, बिज़नेस डील, खरीदारी बेहिचक की जा सकती है। धनतेरस की तरह ही सोना-चांदी, वाहन खरीदना शुभ है। लक्ष्मी जी का वास धन के साथ ही धान्य में है। इसलिए, चावल और गेहूं अवश्य खरीदना चाहिए। रसोई से जुड़ा कोई भी आइटम खरीदना शुभ माना गया है।अक्षय तृतीया के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठानिक मुहूर्त का समय सुबह 05:40 से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट का है। सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त 7 मई मंगलवार को  6 बजकर 26  मिनट  से  23 बजकर 47 मिनट तक है।अक्षय तृतीया के दिन मंगल कार्य के लिए शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया के दिन कीमती वस्तुओं को खरीदने और विभिन्न मांगलिक कार्यों को करने के लिए सूर्योदय से रात्रि 2 बजकर 16 मिनट तक का समय है। अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त है। विवाहादि मांगलिक कार्यों को करने के लिए यह दिन विशेष शुभ माना जाता है। इस दिन की गई यंत्र स्थापना दीर्घकालतक स्थिर रहती है।इस दिन लिए गए सभी संकल्प पूर्ण होते हैं। खास बात यह है कि इस दिन किया गए दान का पुण्य अक्षय रहता हैं।ऐसी मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी के अवतार परशुराम का धरती पर जन्म हुआ था। इसी वजह से अक्षय तृतीया को परशुराम के जन्‍मदिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आईं थीं। अक्षय तृतीया के दिन ही भोजन की देवी अन्‍नपूर्णा का जन्‍मदिन भी माना जाता है।

 

 

 

 

 

 

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Prarthana Srivastava