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धर्म को लेकर ट्रोलर ने की टिप्पणी, माधवन ने इस तरह दिया मुंहतोड़ जवाब

नई दिल्ली। आजकल एक दौर सा चल पड़ा है कि जब कोई सिलेब्रिटी कोई पोस्ट या अपनी या फिर अपने परिवार की फोटो शेयर करता है तो ट्रोलर्स उस पर अपनी राय देने से पीछे नहीं हटते। ऐसे में कई बार सेलेब्स और ट्रोलर्स के बीच कहासुनी की भी हो जाती है।

हाल ही में 15 अगस्त के मौके पर सिंगर अदनान सामी और ट्रोलर्स के बीच तीखे सवाल जवाबों का दौर सा चल पड़ा था। अब कुछ ऐसा ही हुआ जिसके चलते एक ट्रोलर और जाने माने एक्टर आर माधवन आमने सामने आ गये।

हुआ कुछ यूं कि 15 अगस्त के मौके पर माधवन ने अपने पिता और अपने बेटे के साथ एक पिक्चर शेयर की और सभी को बँधाई दी, लेकिन एक ट्रोलर को उस पिक्चर में एख खुशनुमा माहौल नहीं दिखा बल्कि दिखा तो कुछ ऐसा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

दरअसल, 15 अगस्त के मौके पर फिल्म रहना है तेरे दिल में फेमड एक्टर माधवन ने एक बड़ी ही खूबसूरत पिक्चर शेयर करते हुए सभी देशवासियों को 15 अगस्त, रक्षा बंधन और अवनी अविट्टम की शुभकामनाएं दी, और सभी को प्यार कहा। इस फोटो में आर माधवन के साथ कुर्सी पर बैठे उनके बुज़ुर्ग पिता और बराबर में बैठा उनका बेटा नज़र आ रहे है तीनों ने जनेऊ धारण कर रखा है और धोती पहनी है और सामने पूजा की थाल और सामान रखा है।

पिक्चर के बैकग्राउंड में घर का मन्दिर दिख रहा है और उसमे लगी देवी-देवताओं की तस्वीरें। लेकिन ट्रोलर को इतनी सुंदर तस्वीर में एक परिवार की तीन पीढ़ियां नहीं नज़र आई बल्कि नज़र आया भी तो क्या मन्दिर में रखा हुआ एक क्रास जो कि क्रिशियन्स का माना जाता है।

ट्रोलर ने क्रॉस देखकर माधवन को ट्रोल किया और लिखा आपकी तस्वीर के बैकग्राउंड में क्रॉस क्यों दिख रहा है? क्या ये एक मंदिर है? आपने इज़्ज़त खो दी क्या आपने कभी किसी चर्च में भगवान की तस्वीर देखी है आज आपने जो किया, वो महज़ एक ड्रामा है।

इसका जवाब माधवन ने बहुत ही ग्रेसफुली दिया और कहा कि आप जैसों से इज़्ज़त मिलने की मुझे वाक़ई कोई परवाह नहीं।  उम्मीद है कि आप जल्द ठीक होंगे। हैरानी इस बात की है कि आपको अपनी बीमारी में क्रॉस के साथ रखी स्वर्ण मंदिर की तस्वीर नहीं दिखी।

आपने नहीं पूछा कि कहीं मैंने सिख धर्म तो नहीं अपना लिया। मुझे दरगाहों से दुआएं मिली हैं। दुनिया की सारी जगहों की दुआएं मेरे पास हैं। कुछ चीज़ें मुझे तोहफे में मिलीं और कुछ ख़रीदी मेरे घर में सभी तरह की आस्थाओं के लिए जगह है।

कोई भी आर्मी वाला आपको ये बात बता देगा. हर यूनिट में ऐसा होता है। (क्योंकि माधवन के पिता आर्मी में थे) मुझे बचपन में सिखाया गया था कि अपने धर्म को मानते हुए मैं दूसरे धर्मों का भी सम्मान करूं।

मैं अपने धर्म की तरह दूसरे धर्मों का भी सम्मान करता हूं। मुझे उम्मीद है कि मेरा बेटा भी ऐसा ही करेगा। मैंने हर दरगाह, गुरुद्वारा और चर्च में प्रार्थना की है मेरी किस्मत अच्छी है कि जब पास में मंदिर नहीं होता तो मैं इन जगहों पर जा पाया।

ये जानने के बाद कि मैं हिंदू हूं, इन जगहों पर मुझे पूरा प्यार मिला। मैं इस भावना का कैसे सम्मान न करता? मेरे पास लोगों को देने के लिए प्यार और सम्मान है। क्योंकि मेरी यात्राओं और अनुभवों से मैंने यही सीखा है कि यही सच्ची आस्था है।

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Mohammad Faique
the authorMohammad Faique