नई दिल्ली- मोदी सरकार ने अभी हाल ही में अपने लिए हुए कश्मीर से धारा 370 हटाने के फैसले से जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं, पड़ोसी देश पाकिस्तान से लेकर भारत में मौजूद अपने विपक्ष तक की नीदें उड़ा रखी है। आए दिन नेता या तो सोशल मिडीया पर या फिर संसद में इस मुद्दे पर अपनी भड़ास निकालते ही रहते है।
राहुल गाँधी हो या फिर गुलाम नबी आज़ाद हर कोई इस मामले को लेकर सरकार पर आग तो उगल ही चुका है। कोई कश्मीर में दहशत का माहौल फैला होने की बात कह रहा है तो कोई वहाँ हिंसा की दुहाई दे रहा है। आपको राहुल गाँधी का वह ट्वीट तो याद ही होगा जिसमें उन्होनें यह लिखा था कि कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की खबरें आ रही हैं प्रधानमंत्री को शांति और निष्पक्षता के साथ मामले को देखना चाहिए इस ट्वीट पर जवाबतलब करते हुए सत्यपाल मलिक ने लिखा था कि ‘मैं राहुल गांधी जी को कश्मीर आने का निमंत्रण देता हूं मैं उनके लिए एयरक्राफ्ट का भी इंतजाम करूंगा ताकि वह यहां आकर जमीनी हकीकत देख सकें’।
इसके बाद राहुल ने दोबारा ट्वीट करके लिखा कि ‘प्रिय मलिक जी, मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आने के आपके न्योते को स्वीकार करता हूं हमें एयरक्राफ्ट की जरूरत नहीं है बस वहां के नेताओं और जवानों से मिलने दिया जाए’।
लेकिन अब राहुल गाँधी पूरे एक्शन मोड में नज़र आ रहे है खबरों के मुताबिक राहुल गाँधी जम्मू-कश्मीर जाने का मन बना चुके है। वह इस कश्मीर यात्रा में अकेले नहीं होंगे बल्कि विपक्षी पार्टियों के 11 दिग्गज नेताओं ने इस यात्रा के लिए कमर कस ली है।
राहुल के साथ कांग्रेस के ग़ुलाम नबी आज़ाद, केसी वेणुगोपाल, आनंद शर्मा, लेफ़्ट के सीताराम येचुरी, डी राजा, डीएमके के तिरुची शिवा, टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी, एनसीपी के माजिद मेमन, आरजेडी के मनोज झा और जेडीएस के उपेंद्र रेड्डी और इन सभी के साथ कश्मीर जाने वाले नेताओं में शरद यादव भी शामिल हैं।
लेकिन इन सभी दिग्गज नेताओं के कश्मीर जाने के इरादे पर कश्मीर प्रशासन ने लगभग पानी फेर दिया है। दरअसल, वहाँ के प्रशासन का ऐसा मानना है कि नेताओं के कश्मीर में आवागमन से कानून व्यवस्था में दखल पड़ सकती है। इससे पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़द भी जम्मू-कश्मीर जा चुके है पर उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस कर दिया गया था।