लंदन। चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस ने दुनिया के कई देशों में कोहराम मचाते हुए हजारों लोगों की जान ले ली है। कहा तो ये भी जा रहा है चीन ने बिना, हथियार उठाए, बिना मिसाइल दागे तीसरा विश्व युद्ध जीत लिया है। जहां अमेरिका, इटली, जर्मनी, फ्रांस जैसे विकसित देश अभी कोरोना से जूझ रहे हैं वहीँ चेजें5 ने इस वायरस पर विजय पा ली है क्योंकि चीन के जिद वुहान से से उस वायरस की शुरुआत हुई थी वहां अब कोरोना वायरस का कोई नया केस नहीं आ रहा है। बाजार, मॉल्स, सिनेमाघर पहले की तरह गुलजार हो गए हैं। फिलहाल दुनिया चीन को शक की नजरों से देख रही है कहीं ये चीन का जैविक हथियार तो नहीं था।
अब ब्रिटेन सरकार को खुफिया सूचना मिली है कि वायरस का संक्रमण पहले चीनी लैब से जानवरों में हुआ और उसके बाद वह इंसानों में फैला जो घातक रूप ले चुका है। इस थ्योरी पर अभी भी कई लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं। ब्रिटेन के शीर्ष सरकारी सूत्रों का कहना है कि भले ही अब तक वैज्ञानिक सुझाव यही रहा हो कि वायरस वुहान के पशु बाजार से इंसानों में फैला, लेकिन चीनी लैब से हुई लीक के फैक्ट को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, बोरिस जॉनसन द्वारा गठित आपात कमिटी कोबरा के एक सदस्य ने कहा कि पिछली रात मिली खुफिया सूचना मिली जिसके मुताबिक इस बात को लेकर कोई दो राय नहीं है कि वायरस जानवरों से ही फैला है लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया गया है कि वायरस वुहान के लैब से लीकर होकर ही सबसे पहले इंसानों में फैला था। कोबरा को सिक्यॉरिटी सर्विस ने इस संबंध में डिटेल जानकारी दी है। इसने कहा, ‘वायरस की प्रकृति को लेकर एक विश्वसनीय वैकल्पिक विचार हैं। संभवतः यह महज संयोग नहीं है कि वुहान में लैब मौजूद हैं। इस तथ्य को छोड़ा नहीं जा सकता।’
वुहान में इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी मौजूद है। चीन में यह सबसे ऐडवांस लैब है। यह इंस्टिट्यूट जानवरों के बाजार से महज 10 मील दूर स्थित है। उल्लेखनीय है कि चीनी अखबार पीपल्स डेली ने 2018 में कहा था कि यह घातक इबोला वायरस जैसे माइक्रोॉगेनिजम पर प्रयोग करने में समक्ष है। ऐसी अपुष्ट खबरें भी आई थीं कि इंस्टिट्यूट के कर्मचारियों के ब्लड में इसका इन्फेक्शन हुआ और फिर इसने स्थानीय आबादी को संक्रमित किया है।
वहीं वुहान सेटंर फॉर डिजिज कंट्रोल भी बाजार से तीन मील दूर है। माना जाता है कि यहां भी जानवरों जैसे चमगादड़ पर प्रयोग किए गए हैं ताकि कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन का पता चल सके। 2004 में चीनी लैब से हुई लीक के कारण घातक सार्स वायरस फैला था जिससे वहां एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 9 अन्य संक्रमित हो गए थे।