नई दिल्ली। चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना ने दुनिया के सैकड़ों देशों को अपनी चपेट में ले लिया है। विकसित देशों जैसे अमेरिका, इटली, फ्रांस में इसने सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को धमकी भरे अंदाज में कहा है कि अगर भारत कोरोना वायरस से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण दवा का निर्यात नहीं करता है तो उसे अमेरिका का बदला झेलना पड़ेगा। इस बीमारी का वैक्सीन बनाने के लिए दुनियाभर के देश जुटे हुए हैं लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है।
वहीँ ट्रंप की धमकी का जवाब केंद्र सरकार ने सधे अंदाज़ में दिया है। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए अमेरिका को हाइड्रोक्लोरोक्विन के निर्यात की संभावना को लेकर जारी अटकलबाजी और सियासी विवाद पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि देशवासियों के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित करने के बाद ही इन दवाओं को एक्सपोर्ट किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने प्रेस वालों के सवालों के जवाब देते हुए कहा है कि, हमने देखा है कि मीडिया के एक वर्ग में कोरोना संबंधी दवाओं के मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा करने की कोशिश की गयी है। एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हमारा पहला दायित्व यह है कि हमारे लोगों की आवश्यकताओं के लिए दवाओं का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित हो। इसके लिए कुछ अस्थायी कदम उठाये गये और कुछ औषधियों के निर्यात को बैन किया गया है। श्रीवास्तव ने कहा कि इस बीच विभिन्न परिदृश्यों में संभावित आवश्यकताओं को लेकर एक व्यापक आंकलन किया गया
उन्होंने कहा कि सभी संभावित आपात स्थिति में दवाओं की उपलब्धता की पुष्टि होने के बाद इन पाबंदियों को काफी हद तक हटा लिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय ने कल 14 औषधियों पर बैन हटाने की अधिसूचना जारी की है। जहां तक पैरासीटामॉल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का सवाल है, उन्हें लाइसेंस वाली केटेगरी में रखा गया है और उनकी मांग की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी। हालांकि हमारी कंपनियों की भंडारण स्थिति के आधार पर उनके निर्यात अनुबंधों को पूरा करने की इजाजत दी जा सकती है।