लखनऊ। क्या सच में स्पर्म का भी धर्म होता है। अतुल और आरती समेत ऐसे हजारों कपल्स इसका उदाहरण है। जो टेस्ट ट्यूब बेबी प्लान करने से पहले डोनर का धर्म कंफर्म करने को लेकर कंसर्न रखते है। इतना ही नहीं, कपल्स इस प्रोसेस में जाने से पहले आईवीएफ सेंटर पर कई अन्य तरह की क्वेरीज भी करते हैं। एक्सपर्ट बताते है कि आईवीएफ से पहले कपल्स की क्वेरीज को लेकर उनकी काउंसलिंग की जाती है। पूरा प्रोसेस उन्हें समझाया जाता है। एक बार जब रजामंदी हो जाती है तो आईवीएफ प्रोसिजर शुरू किया जाता है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि आईवीएफ के लिए आने वाले कपल्स की डिमांड सिर्फ धर्म तक ही सीमित नहीं होती है। वह स्पर्म डोनर के खानपान, रहन-सहन, इंटेलीजेंस लेवल को लेकर भी सवाल करते हैं। वेजीटेरियन परिवार अपने लिए ऐसे ही डोनर की मांग रखते हैं। आईक्यू लेवल को लेकर भी लोग बहुत कांशियस रहते हैं।
लखनऊ निवासी 40 साल के गौरव की शादी को 10 साल हो गए, बेबी नहीं हो पाया। काफी ट्रीटमेंट करवाया लेकिन फायदा नहीं हुआ, काफी लोगों ने आईवीएफ की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने इसकी पूरी जानकारी ली। घरवालों को भी समझाया। सब मान गए लेकिन शर्त यह रही कि डोनर उनके रिलीजन का ही होना चाहिए।
केस 2 में आरती शादी के 22 साल बाद आईवीएफ के जरिए मां बनी, उनका कहना है कि उन्होंने बेबी के लिए काफी इंतजार किया, टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर उनके मन में काफी सवाल थे। इस प्रक्रिया को समझाने के बाद भी लंबे समय तक वह तैयार नहीं हुई, उन्हें डर था डोनर का धर्म, जाति कौन सी होगी, हालांकि सेंटर ने उनहें हर तरह से संतुष्ट किया और वह फाइनली मा बन सकी।