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अमेरिकी वीजा नियमों से भारतीय कंपनियों की मुश्किल बढ़ेगी : एसोचैम

औद्योगिक संगठन एसोचैम, अमेरिकी वीजा नियमों से भारतीय कंपनियों की मुश्किल, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' अभियान, एच-1बी वीजा नियम सख्तएसोचैम

नई दिल्ली| औद्योगिक संगठन एसोचैम का कहना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन’ अभियान के तहत एच-1बी वीजा नियमों को सख्त करने से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को न केवल बढ़ते खर्चो का सामना करना पड़ेगा, बल्कि स्वदेश में कई कर्मचारियों को नौकरी से निकालना भी पड़ सकता है। रुपये की मजबूती से प्रौद्योगिकी कंपनियों की परेशानी और बढ़ेगी।

औद्योगिक संगठन एसोचैम, अमेरिकी वीजा नियमों से भारतीय कंपनियों की मुश्किल, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' अभियान, एच-1बी वीजा नियम सख्त
एसोचैम

एसोचैम के एक पेपर में बुधवार को यह बात कही गई। पेपर के मुताबिक, कंप्यूटर जगत में 86 फीसदी एच-1बी वीजा भारतीयों को जारी होता रहा है। अब यह आंकड़ा 60 फीसदी या उससे भी कम हो सकता है।

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इससे अमेरिका में भारतीयों द्वारा कमाए जाने वाले और स्वदेश भेजे जाने वाले धन में कमी होगी, जिससे भुगतान संतुलन को नुकसान पहुंचेगा। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में नौकरी से अर्जित आय भारत को भेजने के मामले में अमेरिका का दूसरा स्थान था।

पहले नंबर पर सऊदी अरब था, जहां से भारतीय कमाकर सर्वाधिक धन स्वदेश भेजते हैं। इस दौरान, भारत को करीब 10.96 अरब डॉलर यानी कुल आने वाली आय का करीब 16 फीसदी अमेरिका से मिला था। उद्योग चैंबर ने उम्मीद जताई है कि इससे संतुलन में 8-10 फीसदी की कमी आएगी।

रुपये के ऊपर चढ़ने के कारण जैसे-जैसे कीमतें बढ़ेंगी भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को कर्मचारियों को हटाने को मजबूर होना पड़ेगा। एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत ने कहा, “ऐसी स्थिति में छंटनी की स्पष्ट संभावना है।”

उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के सर्वोच्च संगठनों तथा सरकार को असामान्य हालात से निपटने के लिए एक संयुक्त रणनीति पर काम करने की जरूरत है।

पिछले तीन महीनों में, भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले पांच फीसदी मजबूत हुई है, जिसके कारण निर्यात संबंधित अन्य क्षेत्रों के अलावा सॉफ्टवेयर निर्यात से होने वाले राजस्व में भी कमी आई है।

ब्रिटेन टियर टू वीजा आव्रजकों के लिए न्यूनतम वेतन बढ़ाकर पहले ही 35,000 यूरो कर चुका है, अब अमेरिका के सख्त रुख से भारतीय आउटसोर्सिग उद्योगों को निश्चित तौर पर तगड़ा झटका लगेगा।

भारतीय आउटसोर्सिग कंपनियों के पास वैकल्पिक समाधान में अपने संयंत्र को अमेरिका के निकट स्थापित करना, स्थानीय अमेरिकी लोगों को काम पर रखना तथा वर्चुअल माध्यम से काम करने की छूट देना शामिल है, जो क्लाउड सर्विसेज को व्यापक तौर पर स्वीकार करने से आसान हो गया है।

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