नई दिल्ली | जीका विषाणु अमेरिकी महाद्वीप के साथ दुनिया भर में तेजी से पैर पसार रहा है। दक्षिण अमेरिका और कैरेबिया के 22 देश इससे प्रभावित हैं। ब्राजील भी इनमें से एक है, जहां छह महीने बाद ओलम्पिक का आयोजन होना है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ब्राजील समय रहते जीका विषाणु पर लगाम लगा सकेगा और अगर नहीं तो इससे ओलम्पिक का आयोजन किस तरह प्रभावित होगा? एक अनुमान के मुताबिक जीका विषाणु अगले 12 महीनों में अमेरिकी महाद्वीप में 40 लाख लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा। ब्राजील में इस विषाणु के कारण अब तक 4000 बच्चे असामान्य आकार के सिर के साथ पैदा हो चुके हैं। रियो को इस बात की चिंता है कि जीका विषाणु के कारण महिला खिलाड़ी और दुनिया भर से आने वाली महिला दर्शक ब्राजील आने से इंकार न कर दें।
खासतौर पर ऐसी महिला खिलाड़ियों के ब्राजील आने से इंकार करने की आशंका है, जो गर्भ धारण करने की उम्र में हैं। अमेरिका में इसे लेकर खास चिंता है क्योंकि बड़ी संख्या में अमेरिकी महिला एथलीट और दर्शक रियो पहुंचेंगे। इनकी संख्या 200,000 तक बताई जा रही है। अमेरिका सहित दुनिया भर की चिंता यह है कि अगर जीका विषाणु से प्रभावित कोई सक्रिय संक्रमण वाला खिलाड़ी या फिर दर्शक रियो से अपने देश लौटेगा तो फिर वह अपने देश में जीका विषाणु रोगजनकों को फैलाने का कारण बन सकता है। ऐसे में ओलम्पिक में हिस्सा लेने वाले सभी देशों में इस आशंका को लेकर आत्ममंथन चल रहा है।
ब्राजीली शोधकर्ताओं ने साफ किया है कि उनके देश में जीका विषाणु 2014 फीफा विश्व कप के दौरान पहुंचा। ऐसा कहा जा रहा है कि जीका विषाणु ब्राजील में कुछ प्रशांत द्वीपों से पहुंचा, जहां यह काफी समय से सक्रिय था। तब से लेकर आज तक ब्राजील में जीका विषाणु से 15 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। हाल के दिनों में ब्राजील में कई बच्चे असामान्य आकार से सिर के साथ पैदा हुए, जो माइक्रोसेफेली का शिकार हैं। इस विषाणु के कारण गर्भवती महिलाओं पर गम्भीर खतरा है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक यह विषाणु मस्तिस्क में विषमता पैदा करता है, जिसे मेडिकल शब्दों में माइक्रोसेफेली कहा जाता है। इसके तहत नवजात बच्चों के सिर का आकार सामान्य से छोटा हो जाता है।
सबसे चिंता की बात यह है कि जीका विषाणु से संक्रमित लोग आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखाते। इसके लक्षण डेंगू और चिकनगुनिया से मिलते-जुलते हैं लेकिन इसका असर काफी देरी से दिखता है। जीका विषाणु का संक्रमण एडीज प्रजाति के मच्छरों के काटने से होता है, जो डेंगू फैलाने वाले मच्छरों की तरह जमे हुए साफ पानी में पैदा होते हैं। डेंगू के मच्छर की तरह ही यह भी दिन में ही काटते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इसे लेकर चिंतित है। उसने इस बीमारी के बच्चों में जन्मजात खामियों से सम्बंधों को लेकर जांच शुरू कर दी है। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी को लेकर कोई टीका नहीं है। इसे रोकने का सिर्फ एक उपाय है और वह यह है कि जीका विषाणु का संक्रमण फैलाने वाले एडीज प्रजाति के मच्छरों को पनपने से रोका जाए।
रियो में अगस्त में ओलम्पिक का आयोजन होना है। दक्षिण अमेरिका में पहली बार ओलम्पिक का आयोजन हो रहा है। इसे लेकर काफी उत्साह है लेकिन जीका विषाणु के खतरों के कारण अब हर ओर डर का माहौल है। खासतौर पर दूसरे देशों में डर व्याप्त है, जहां यह विषाणु अब तक नहीं पहुंचा है। तो क्या डब्ल्यूएचओ लोगों को रियो ओलम्पिक के दौरान ब्राजील नहीं जाने की सलाह जारी करेगा? इसे लेकर डब्ल्यूएचओ के सहायक महानिदेशक ब्रूस एलवार्ड ने कहा, “ऐसा किए जाने की सम्भावना बहुत कम है। अभी तो यह पता लगाने की कोशिश जारी है कि ब्राजील में आसामान्य आकार के सिर के साथ जन्म ले रहे बच्चों और जीका विषाणु में कोई सम्बंध है क्या?”
दुनिया को इस बात का सबसे अधिक डर है कि ब्राजील से जब लोग अपने-अपने देशों को लौटेंगे तो वे सम्भवत: जीका विषाणु के रोगजनको को अपने देश में लाने का काम कर सकते हैं। न्यूयार्क टाइम्स के मुताबिक विषाणुओं को लेकर शोध कर रहे आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के मोरित्ज क्रामेर का मानना है कि ब्राजील से लौटने वाले लोग निश्चित तौर पर इस बीमारी को दुनिया भर में फैलाने का काम कर सकते हैं। क्रामेर ने कहा, “ब्राजील से जाने वाले संक्रमित यात्री अपने देश में सक्रिय संक्रमण के साथ प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे में अगर उन्हें कोई मच्छर काटता है तो वह जीका विषाणु रोगजनकों को फैलाने का काम कर सकता है। ऐसे में दुनिया में इस विषाणु के तेजी से फैलने का गम्भीर खतरा है।”
आस्ट्रेलिया ने तो अपनी महिला एथलीटों से कहा है कि वे ब्राजील जाने या न जाने के बारे में व्यक्तिगत तौर पर निर्णय ले सकती हैं। प्रभावित देशों की यात्रा करने करने वाली महिलाओं व अन्य लोगों को विमानन कम्पनियों ने टिकट वापस करने की सलाह दी है। ब्राजील में इसे लेकर चिंता है। वहां के स्वास्थ्य मंत्री मार्सेलो कास्ट्रो ने कुछ दिन पहले कहा था, “हम जीका के खिलाफ लड़ाई हारते जा रहे हैं। हम ओलम्पिक से पहले इस पर रोक लगाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमारे मन में इसकी सफलता को लेकर संदेह है।” रियो ओलम्पिक आयोजकों ने हालांकि कहा है कि वे इस समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वे समय रहते इस बीमारी पर लगाम लगा देंगे।
अगले कुछ दिनों में ब्राजील में विश्वविख्यात कार्निवाल का आयोजन होना है। इसे देखते हुए सरकार ने सेना और हजारों स्वास्थ्यकर्मियों को एडीज मच्छरों के रोकथाम के काम पर लगा दिया है। कार्निवाल के साथ-साथ रियो ओलम्पिक आयोजन स्थलों का खास ध्यान रखा जा रहा है। ब्राजील सरकार के लिए अच्छी खबर यह है कि अगस्त में जब ओलम्पिक उद्घाटन समारोह होगा, तब वहां सर्दियां शुरू हो चुकी होंगी और सर्द मौसम में एडीज मच्छरों का प्रजनन कम हो जाता है और ऐसे में सरकार अपने सार्थक प्रयासों के दम पर इससे होने वाले संक्रमण पर काफी हद तक रोक लगा सकती है।
आस्ट्रेलियाई ओलम्पिक संघ ने खुले तौर पर जीका विषाणु के खतरे को स्वीकार किया है लेकिन दुनिया भर के अन्य ओलम्पिक संघ अभी स्थिति का जायजा ले रहे हैं। फ्रांस ने अपने नागरिकों से कहा है कि वे दक्षिण अमेरिका की यात्रा करने से बचें लेकिन अभी उसने अपनी महिला खिलाड़ियों के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है। कुल मिलाकर हालात गम्भीर हैं क्योंकि जीका विषाणु के रोकथाम के लिए कोई स्पष्ट स्वास्थ्य मानक नहीं हैं। ब्राजील के अलावा अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको इसे लेकर सबसे अधिक चिंतित हैं क्योंकि उन्हें डर है कि अंतर्राष्ट्रीय आवागमन के कारण सबसे पहले यह विषाणु उनके यहां पहुंच सकता है।