पणजी | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की गोवा इकाई ने सोमवार को मांग की कि जिन इलाकों में नारियल पेड़ों को काटा जा रहा है, उन इलाकों में निर्माण व रियल एस्टेट विकास को बंद कर दिया जाये। विपक्ष हालांकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के उस नए विवादित कानून के सुर में सुर मिलाता नजर आया, जिसके मुताबिक वह नारियल के वृक्ष को पेड़ के रूप में मान्यता प्रदान नहीं करता है।
राकांपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रजानो डी मेलो ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “गोवा में नारियल के पेड़ों को बचाने के लिए भाजपा को एक अध्यादेश लाना चाहिए, जो यह सुनिश्चित करे कि जिन इलाकों में नारियल पेड़ काटे गए हैं, वहां निर्माण को रोका जा सके। इन इलाकों में केवल कृषि संबंधी गतिविधियों की ही मंजूरी दी जानी चाहिए।”
यह टिप्पणी वन मंत्री राजेंद्र आरलेकर के उस बयान के बाद सामने आई है, जिसमें उन्होंने कहा कि गोवा, दमन व दीव वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1948 में बदलाव किया गया है, ताकि किसान नारियल की मौजूदा किस्मों के बदले ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए नई किस्में लगा सकें। आरलेकर ने कहा, “गोवा में मौजूदा नारियल का एक पेड़ सालाना लगभग 32 नारियल उत्पन्न करता है, जबकि नई किस्म से सालाना 300-350 नारियल का उत्पादन होगा। पुराने पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाने की जरूरत है और ऐसा करने के लिए पुराने कानून में कई बदलाव की जरूरत है।”