नई दिल्ली| इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा की हर एक चिकित्सक की जिम्मेदारी है कि वह गरीबों का मुफ्त या कम पैसों में इलाज करे। आईएमए के महासचिव डॉ के.के. अग्रवाल ने बताया कि चिकित्सक की नियमित दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए की वह जरूरतमंदों की मदद करें। ऐसा करने के लिए वह जरूरतमंदों के लिए बने हुए क्लिनिक्स पर सेवाएं देकर और जरूरतमंदों के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं में भाग लेकर अपना योगदान दे सकते हैं साथ ही काम फीस या मुफ्त में भी इलाज कर सकते हैं। वह जरूरतमंदों के लिए बेहतर योजनाएं बनाने और उसके लिए मौलिक समर्थन जुटाने में भी मदद कर सकते हैं।
आईएमए का मानना है कि किसी चिकित्सक को आपातकालवाली स्थिति वाले मरीज को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही एक बार अगर कोई चिकित्सक किसी मरीज का इलाज अपने हाथ में ले ले तो एमसीआई के रोगी को नजरअंदाज न करने वाले नियम 2.4 के तहत वह उसे उचित सूचना दिए बगैर उसका इलाज बंद नहीं कर सकता। एससीआई का दिशा निर्देश भी अप्रत्यक्ष रूप से यही कहता है। भारतीय संविधान की धारा 21 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को जीने का अधिकार प्राप्त है। जीवन के अधिकार के तहत ही नागरिकों को स्वास्थ्य का अधिकार भी प्राप्त है। आईएमए का मानना है कि किसी की आर्थिक परिस्थिति कैसी भी हो प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है।