श्रीनगर | जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विश्वविद्यालयों में राष्ट्रध्वज फहराने के केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के निर्देश की आलोचना की और ट्विटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा की, ” यदि अलगाव की भावना दूर करने के लिए झंडा फहराना ही एकमात्र उपाय होता तो कश्मीर और पूर्वोत्तर की समस्याएं दशकों पहले ही सुलझ चुकी होतीं।” एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक में गुरुवार को यह निर्णय लिया गया था।
अब्दुल्ला ने हालांकि कहा कि वह फैसले के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि यह विभिन्न विश्वविद्यालयों में उठ रही अलगाववादी भावनाओं को दूर करने का एक नया तरीका प्रतीत हो रहा है। उमर ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “मैं नए उपायों के पक्ष में हूं, लेकिन हमें अपने आपको यह दिलासा नहीं देना चाहिए कि एचआरडी मंत्रालय के इस निर्देश से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) या जाधवपुर में सुने गए नारे बंद हो जाएंगे।” उल्लेखनीय है कि अब्दुल्ला के पिता फारुख अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा था कि जेएनयू की समस्या को विश्वविद्यालय के कुलपति को हल करना चाहिए था और इसे विश्वविद्यालय परिसर से बाहर नहीं उछाला जाना चाहिए था।