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नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू, कलश स्थापना में ध्यान रखें ये बातें

लखनऊ। सोमवार 26 सितंबर से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। अगर आप नवरात्रि के नौ दिन व्रत का संकल्प ले रहे हैं तो आपको पहले दिन घटस्थापना करनी ही चाहिए। ऐसी मान्यता है कि धार्मिक कार्य शुरू करने से पहले कलश स्थापित करना शुभ होता है और इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि के मंगल कलश स्थापना की विधि और नियम.

आराधना का यह पर्व प्रथम तिथि को घट स्थापना (कलश या छोटा मटका) से आरंभ होता है। साथ ही नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। घट स्थापना करते समय यदि कुछ नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है। इन नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं।

नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना

अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं। फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें। कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें। इसमें अक्षत भी डालें।

कलश स्थापना में ध्यान में रखें ये बातें

घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए।

नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें।

इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं।

इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।

कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए।

अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें।

इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें।

दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें।

तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें।

अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें।

इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें।

अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH