लखनऊः आज महाशिवरात्रि पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था। भोले बाबा अपने नाम की तरह ही भोले होते हैं। कोई भक्त आस्था और निश्चल मन से शिवजी की पूजा करता है और कुछ मांगता है तो उनकी मनोकामना को भोलेनाथ पूरा करते हैं। महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान की आराधना का दिन होता है। इस मौके पर श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं।
शिवालयों में बेलपत्र और भांग धतूरे का भोग लगाते हैं। वैसे तो हर मंदिर में शिवलिंग होती है, जहां आप रुद्राभिषेक करते हैं। लेकिन देश में 12 ज्योतिर्लिंगों की मान्यता है। यहां भगवान शिव साक्षात आए थे और ज्योतिर्लिंग के रूप में बस गए। इस महाशिवरात्रि के मौके पर अगर आप 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं तो सबसे पहले जान लीजिए कि ज्योतिर्लिंग कहां-कहां स्थित हैं और इन ज्योतिर्लिंगों की क्या विशेषताएं हैं।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग,गुजरात
देश का पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है। अरब सागर के तट पर स्थित इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है। पुराण के मुताबिक, जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया तो इसी स्थान पर चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए इसी स्थान पर शिवजी की पूजा और तप किया था। कहा जाता है कि खुद चंद्र देव ने इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश
दूसरा ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। आंध्र प्रदेश में स्थित इस ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के पास क्षिप्रा नदी बहती है। यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां रोजाना भस्म आरती होती है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के दो ज्योतिर्लिंग हैं। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा मालवा क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे एक पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। अगर श्रद्धालु दूसरे तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर बाबा पर अर्पित करते हैं तो माना जाता है कि उनके सारे तीर्थ पूरे हो गए।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड
उत्तराखंड के चार धामों में से एक केदारनाथ धाम है, जहां केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है। ये ज्योतिर्लिंग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार चोटी पर स्थित है। इसे भगवान शिव का घर माना जाता है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में तीन ज्योतिर्लिंग स्थित हैं, पहला पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में बसा है। इसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहते हैं। इस शिवलिंग का आकार काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की पवित्र वाराणसी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मौजूद है। इस जगह को धर्म नगरी काशी भी कहते हैं जो भगवान भोले नाथ की प्रिय मानी जाती है। गंगा नदी के तट पर बाबा विश्वनाथ का मंदिर है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने कैलाश छोड़कर काशी को ही स्थाई निवास बना लिया था।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में स्थित दूसरा ज्योतिर्लिंग है, जिसे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। यह नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। काले पत्थरों से बने इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव इसी स्थान पर बस गए थे।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
झारखंड के देवघर में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस मंदिर को बैद्यनाथधाम कहा जाता है। इसे रावणेश्वर धाम भी कहा जाता है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात
सोमनाथ के अलावा गुजरात में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भी स्थित है। बड़ौदा जिले के गोमती द्वारका के पास बसे इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि भगवान शिव की इच्छा से ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु
11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नाम के स्थान पर बसा है। तमिलनाडु में रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है, जिसे लेकर मान्यता है कि श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। इसलिए इसे रामेश्वर का नाम दिया गया।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र का तीसरा और भगवान शिव का 12वां ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग है जो कि संभाजीनगर के पास दौलताबाद में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर भी कहा जाता है।