लखनऊ| हनुमानजी यानी चमत्कार का दूसरा नाम। पौराणिक काल से बजरंगबली का नाम चमत्कारों से जुड़ा है। चाहे फिर सीने में बैठे राम-जानकी के दर्शन करवाना हो या फिर लक्ष्मणजी को जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी लाना हो। न सिर्फ पौराणिक काल बल्कि कलियुग भी हनुमानजी के चमत्कारों से सजा है। हमारे देश में जगह-जगह पर हनुमानजी के प्राचीन चमत्कारिक मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है प्रयागराज में संगम किनारे लेटे हनुमान का मंदिर।
अपने आप में अनोखे इस मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा खड़ी हुई नहीं बल्कि लेटी हुई अवस्था में विराजमान है। आखिर क्या वजह है कि यहां हनुमानजी लेटी हुई अवस्था में हैं। संगम के किनारे स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि संगम स्नान के बाद यहां दर्शन नहीं किए तो स्नान अधूरा माना जाता है।
ऐसा माना जाता है की हनुमानजी की यह विचित्र प्रतिमा दक्षिणाभिमुखी और 20 फीट लंबी है। यह धरातल से कम से कम 6 7 फीट नीचे है। संगम नगरी में इन्हें बड़े हनुमानजी, किले वाले हनुमानजी, लेटे हनुमानजी और बांध वाले हनुमानजी के नाम से जाना जाता है। इस प्रतिमा के बारे ऐसा माना जाता है कि इनके बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा है। उनके दाएं हाथ में राम-लक्ष्मण और बाएं हाथ में गदा शोभित है। बजरंगबली यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।