लखनऊ। नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर योगी सरकार का फोकस भले ही अभी शहर हों पर 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर गांवों के विकास पर भी बराबर की नजर है। दरअसल तमाम शहरीकरण के बावजूद उत्तर प्रदेश की सर्वाधिक आबादी गांवों में ही बसती है। देश के सर्वाधिक गांव भी उत्तर प्रदेश में ही हैं। योगी सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही इन गांवों को विकास का केंद्र एवं रोजगार का जरिया बनाने को प्रतिबद्ध है। केंद्र एवं प्रदेश सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला, प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास, अलग-अलग तरह की पेंशन योजनाओं के अधिकांश लाभार्थी गांवों में ही हैं। दरअसल लाभार्थियों का यह वर्ग किसी भी चुनाव में भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन लाभार्थियों के साथ ग्रामीण जनता से लगातार संपर्क बना रहे। विकास के जो भी कार्य हो रहे हैं, उनकी निगरानी, गुणवत्ता एवं समयबद्धता बनी रहे और गांवों में शहरों जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास हो, यह योगी सरकार की प्रतिबद्धता है। इसका जिक्र विधानसभा चुनावों के ठीक पहले जारी संकल्प पत्र में भी किया गया था।हाल ही में सरकार ने गांवों को जोड़ने के लिए 767 किलोमीटर सड़क निर्माण की घोषणा की है। इनके निर्माण में 629 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस बाबत 470 करोड़ रुपये मंजूर भी कर दिए गये। यही नहीं, प्रत्येक शनिवार को हर जिले के तीन गांवों में जनता चौपाल के आयोजन को भी मिशन 2024 की तैयारियों से ही जोड़कर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनावों के ठीक पहले पार्टी की ओर से पथ लोक संकल्प पत्र में भी गांवों को शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने की प्रतिबद्धता भाजपा ने जताई थी।
संकल्प पत्र में गांवों को भी शहरों जैसी सुविधाओं से संतृप्त करने की थी बात
भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्प पत्र-2022 में भी गांवों के विकास के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी। संकल्प के मुताबिक़ भाजपा का ध्येय था कि विकास के लिहाज से उत्तर प्रदेश के गांव शहरों की बराबरी करेंगे। मसलन मुख्य शहर से गांव को जोड़ने वाली सोलर लाइट की दूधिया रोशनी से नहाई चकाचक सड़कें हों या जल निकासी के लिए पक्की नालियां, हर ग्राम पंचायत पर बस स्टेशन। इनके लिए 2000 अतिरिक्त बसों की व्यवस्था। इंटरनेट कनेक्टिविटी और जल जीवन मिशन के तहत 2024 तक हर घर तक शुद्ध पेयजल। आने वाले समय में अपने उत्तर प्रदेश के गांवों की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही होगी।
बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नत योजना से संवारे जाएंगे गांव
संकल्प पत्र के मुताबिक गांवों के समग्र विकास के लिए सत्ता में आने पर भाजपा सरकार बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नत योजना के जरिए गांवों के विकास के लिए संकल्पित रही। इसी क्रम में कर्ज माफी से शुरू किसानों के कल्याण का सिलसिला भी जारी रखने का संकल्प दोहराया गया था।संकल्प पत्र में पहले की तरह सिंचन क्षमता के विस्तार पर भी खासा जोर था। सिंचाई के लिए 5,000 करोड़ से मुख्यमंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत लघु-सीमांत किसानों को बोरवेल, तालाब और टैंक निर्माण के लिए अनुदान देय होगा। सिंचाई के लिए सभी किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पंप देना जारी रहेगा। इन सब पर काम भी हो रहा है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन से बदलेगी खेतीबाड़ी की सूरत
25,000 करोड़ की लागत से शुरू सरदार वल्लभ भाई पटेल एग्री-इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत प्रमुख फसलों की छंटनी, ग्रेडिंग, पैकिंग, अधिक समय तक संरक्षित करने के लिए कोल्ड चेन चेम्बर्स के निर्माण का जिक्र भी संकल्पपत्र में था। 5,000 करोड़ से गन्ना मिल नवीनीकरण मिशन के अंतर्गत चीनी मिलों के आधुनिकीकरण के साथ नई सहकारी चीनी मिलों के निर्माण, 14 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित करने की भी बात थी। ऐसा न होने पर देरी के अनुसार ब्याज भी देय होगा। मंदी की मार से बचाने के लिए किसानों को आलू, टमाटर एवं प्याज जैसी सभी फसलों का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 1,000 करोड़ का भामाशाह भाव स्थिरता कोष बनाया जाएगा। 1,000 करोड़ की लागत से नंद बाबा दुग्ध मिशन के तहत दुग्ध उत्पादन में प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। वहीं 4,000 नए फसल-विशिष्ट एफपीओ स्थापित किया जाएगा। साथ ही प्रदेश में 6 मेगा फूड पार्क विकसित किए जाएंगे। प्रदेश में निषादराज बोट सब्सिडी योजना शुरू की जाएगी। मछली बीज उत्पादन यूनिट के लिए 25 फीसद तक की सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही और 6 अल्ट्रा मॉडल मछली मंडियां भी बनाने की बात संकल्पपत्र में थी।
सीएम योगी ने कहा था कि गांव व किसान मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता
यही नहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में हुई ऐतिहासिक जीत और पांच साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद दोबारा प्रदेश का मुखिया बनने और शपथ ग्रहण करने के अगले ही दिन 26 मार्च 2022 को अफसरों के साथ पहली बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर स्पष्ट कर दिया कि गांवों का विकास उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से है। उन्होंने गांव, ग्रामीण, किसानों की परेशानियों के तत्काल निस्तारण को कहा। सीएम ने निर्देश दिया कि गांव में सप्ताह में एक बार ‘गांव दिवस’ मनाया जाए। बीट वाले पुलिस कर्मियों सहित जिन विभागों के कर्मचारी संबंधित गांव के विकास के लिए जवाबदेह हैं, वह अनिवार्य रूप से वहां जाएं। ग्राम प्रधान से समन्वय बनाकर समस्याएं सुनें और मौके पर ही उनका स्थाई व संतोषजनक हल निकालें, तबसे यह सिलसिला जारी है। सड़कों का निर्माण एवं जन चौपाल के कार्यक्रम भी उसी की कड़ी हैं।
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खत्म होंगे विवाद और स्मार्ट बनेंगे गांव
लखनऊ: महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। अपने सपनों के भारत में उन्होंने गांव के विकास को प्रमुखता देने की बात कही थी, जिससे देश की उन्नति निर्धारित होती। देश का सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश होने के नाते उत्तरप्रदेश में गांवों की संख्या भी सर्वाधिक है। देश के 6.5 लाख गांवों में से करीब एक लाख तो उत्तर प्रदेश में ही हैं। ऐसे में अगर गाँधीजी के सपनों के अनुसार गांवो को बेहतर बनाना है तो शुरुआत उत्तर प्रदेश से ही करनी होगी।
गांधीजी के नाम से राजनीति करने वालों ने गांवों और किसानों के हित की बात तो खूब की पर किसी ने कुछ किया नहीं। किसानों एवं गांवों का हित नारों तक ही सीमित रहा। लिहाजा गांवों और किसानों की किस्मत करीब जस की तस रही। पहली बार 2014 में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और 2017 में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गांवों और किसानों पर फोकस किया। योगी-2 में भी इस पर तेजी से क्रियान्वयन किया जा रहा है।