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हाथरस गैंगरेप मामले में आज तय हो सकता है आरोप, कोर्ट में सुरक्षा बल तैनात

हाथरस/लखनऊ। उप्र के बहुचर्चित हाथरस के बूलगढ़ी गैंगरेप मामले में आज गुरुवार को एससी-एसटी कोर्ट आरोपियों पर दोष तय कर सकता है। सुबह साढ़े 11 बजे चारों आरोपियों को पेशी पर कोर्ट में लाया गया है। सीबीआई चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। कोर्ट में भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया है।

तीन साल पहले लड़की के साथ हुआ था गैंगरेप

गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गाँव की दलित युवती के साथ गैंगरेप हुआ था। 29 सितम्बर को दिल्ली के सफदरगंज में युवती ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। पुलिस ने मामले में गांव के संदीप ठाकुर, लवकुश, रामू और रवि को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

सीबीआई ने मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ 376 डी, 302 और एससीएसटी एक्ट सहित कई धाराओं में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। सीबीआई की चार्जशीट के बाद से कोर्ट में पूरे प्रकरण की सुनवाई चल रही है। मामले में 104 गवाहों में से सीबीआई ने 35 लोगों की गवाही दे दी है। आज जिले की एससी-एसटी एक्ट कोर्ट में आरोपियों को दोषी ठहराया जा सकता है।

युवती को खेत में खून से लथपथ छोड़कर भाग गए थे आरोपी

घटनाक्रम के मुताबिक पीड़िता खेत में घास लेने गई हुई थी। तभी उसके साथ ये घटना की गई थी। रेप का आरोप ऊंची जाति के 4 युवकों पर लगा था। आरोपी लड़की को एक खेत में खून से लथपथ छोड़कर भाग गए थे। पीड़िता की गर्दन और प्राइवेट पार्ट्स पर गंभीर चोटें पाई गई थी। उसकी जीभ को भी आरोपियों ने बेरहमी से काट दिया था।

गैंगरेप और हत्या का आरोप उसी गांव के चार युवकों लवकुश, संदीप, रामू और रवि पर हुआ। पुलिस ने 26 सितंबर से पहले ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। घटना की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी।

प्रयागराज और हाथरस में सुनवाई

सीबीआई ने जांच के बाद चारों आरोपियों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट की विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। धारा 302, 376, 376 ए, 376 डी, और, 3 (2) (5) एससी, एसटी एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया था। पीड़िता की मौत के बाद दो मामले दर्ज किए गए थे। उनकी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट और हाथरस में एससी/एसटी अदालत कर रही है।

परिवार ने संभाल कर रखी हैं अस्थियां

लगभग ढाई साल से पीड़िता का परिवार न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है। परिवार ने अपनी बेटी की अस्थियां अभी तक संभालकर रखी हुई हैं। वे कहते हैं कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा वे अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे। जिस दिन न्याय मिलेगा, उस दिन बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी।

वादा नहीं हुआ पूरा

घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी ने पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया था। इसी के साथ कनिष्ठ सहायक पद पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी और हाथरस शहर में ही एक घर के आवंटन की घोषणा भी की गई थी।

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी मुआवजा तो परिवार को मिला, लेकिन नौकरी और घर का वादा अभी तक सरकार ने पूरा नहीं किया।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH