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प्रदेश में दुर्घटनाएं रोकने के लिए परिवहन निगम उठाएगा ठोस कदम

लखनऊ। रोडवेज की बसों में दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन ने सभी नोडल अधिकारियों को नियमित समीक्षा के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में परिवहन निगम के एमडी की ओर से सभी नोडल अधिकारियों को लेटर जारी किया गया है। इस लेटर में उन्हें दुर्घटनाओं की मुख्य वजहों के साथ-साथ उपाय भी सुझाए गए हैं। साथ ही चालकों की नियमित काउंसिलिंग के भी निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि सीएम योगी ने प्रदेश में दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए परिवहन निगम को उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में परिवहन निगम द्वारा अप्रैल 2023 से मार्च 2024 में हुई दुर्घटनाओं की तुलना एवं समीक्षा में पाया गया है कि इस दौरान फैटल दुर्घटनाओं एवं मृतकों की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे स्पष्ट है कि मुख्यालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों का क्षेत्रीय एवं डिपो स्तर के अधिकारियों द्वारा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सार्थक प्रयास किया जाना अत्यंत जरूरी है।

चालकों की हो काउंसिलिंग

परिवहन निगम के एमडी मासूम अली सरवर ने बताया कि ओवरस्पीडिंग, उचित दूरी न बनाकर चलना, गलत एवं लापरवाही से ओवरटेकिंग करने से अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं। यह तीनों मानवीय कारण चालकों के नियंत्रण से बाहर नहीं है। अतः काउंसिलिंग के समय इन तीनों कारणों की ओर प्रमुखता से चालकों का ध्यान आकर्षित किया जाए, ताकि दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने निर्देश दिया कि अपने-अपने नोडल क्षेत्रों के निरीक्षण के दौरान गत माह हुई समस्त दुर्घटनाओं की गहन समीक्षा करें। दुर्घटनाओं का कारण एवं दोषी चालक व क्रू के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई, ज्ञात करेंगे। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिपो एवं क्षेत्र स्तर पर क्या-क्या कार्यवाही एवं निर्धारित हेल्थ कार्ड के द्वारा स्वास्थ्य व नेत्र परीक्षण एवं प्रभावशाली काउंसिलिंग की जा रही है या नहीं, इसकी भी जानकारी देंगे। मुख्यालय आने पर नोडल अधिकारी अपनी निरीक्षण टिप्पणी के साथ गत माह की दुर्घटनाओं की समीक्षात्मक टिप्पणी प्रधान प्रबंधक (संचालन) को प्रस्तुत करेंगे।

मानवीय कारणों से हो रहीं दुर्घटनाएं

पत्र में कहा गया है कि परिवहन निगम की बसों की अधिकांश दुर्घटनाएं मानवीय कारण से हो रही हैं। इसमें ओवर स्पीडिंग, निर्धारित गति से अधिक गति में वाहन चलाना, आगे चल रहे वाहन से उचित दूरी न बनाकर चलना, नशे की हालत में वाहन चलाना, शराब या अन्य मादक पदार्थों के प्रभाव में रहते हुए वाहन चलाना शामिल है। इसके साथ ही वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग करना या ईयर फोन लगाकर संगीत सुनना, सड़क पर लगे संकेतकों की अवहेलना, ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन, गलत लेन में चलना, रांग साइड में वाहन चलाना, गलत समय पर गलत ढंग से ओवरटेकिंग करना शामिल है। इसके अलावा घने कोहरे में पार्किंग लाइट का प्रयोग न करना, वाहन में रिफ्लेक्टिव टेप का न लगा होना, मुख्य मार्गों/हाईवेज से जुड़ते हुए शाखा मार्गों से आते हुए बिना दाएं बाएं देखे तीव्र गति से मुख्य मार्ग को ज्वॉइन करना, मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग में जल्दबाजी में क्रॉसिंग पार करना, नींद न पूरी होने या अत्यधिक थकान की दशा में गाड़ी चलाना, टायर की हवा, ब्रेक, क्लच और अन्य आवश्यक यंत्रों की फिटनेस पर ध्यान न देना और असामान्य मनोदशा वाले या मानसिक रूप से अस्वस्थ चालकों द्वारा वाहन चलाना भी शामिल है।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH