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दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का निधन, 86 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

नई दिल्ली: मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज चल रहा था।

टाटा ग्रुप का बयान सामने आया 

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने इस मौके पर बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, ‘हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को अंतिम विदाई दे रहे हैं। एक असाधारण नेता जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह को आकार दिया बल्कि हमारे राष्ट्र का मूल ताना-बाना भी बुना। टाटा समूह के लिए, श्री टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वह एक गुरु थे, मार्गदर्शक और मित्र भी थे।’

उन्होंने कहा, ‘अटूट प्रतिबद्धता के साथ, रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार का विस्तार किया। वह हमेशा अपने नैतिक दिशा-निर्देश के प्रति सच्चे रहे। परोपकार और समाज के विकास के प्रति श्री टाटा के समर्पण ने प्रभावित किया है। लाखों लोगों का जीवन, शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने गहरी जड़ें जमा ली हैं। इससे आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा। पूरे टाटा परिवार की ओर से, मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी क्योंकि हम उनके सिद्धांतों को कायम रखने का प्रयास करेंगे।’

पीएम मोदी ने जताया शोक

पीएम मोदी ने एक्स हैंडल पर पोस्ट करके रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। पीएम मोदी ने कहा, ‘श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने कई लोगों को प्रिय बना लिया।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘श्री रतन टाटा जी के सबसे अनूठे पहलुओं में से एक ये था कि उन्हें बड़े सपने देखने का जुनून था। वह शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, पशु कल्याण जैसे कुछ मुद्दों का समर्थन करने में सबसे आगे थे। मेरा मन श्री रतन टाटा जी के साथ अनगिनत संवादों से भरा हुआ है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो मैं उनसे अक्सर मिलता था। हम विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। मुझे उनका दृष्टिकोण बहुत समृद्ध लगा। जब मैं दिल्ली आया तो ये बातचीत जारी रही। उनके निधन से बेहद दुख हुआ। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।’

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH