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रोहिंग्या नरसंहार के स्पष्ट सबूत मौजूद : मानवाधिकार समूह

नेपेडा, 15 नवंबर (आईएएनएस)| एक मानवाधिकार समूह ने म्यांमार के राखिने प्रांत में बुधवार को रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ ‘नरसंहार’ के सबूत मिलने के संबंध में रपट जारी की है। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, मानवाधिकर संगठन के दस्तावेज के अनुसार, अक्टूबर 2016 और अगस्त 2017 में रोहिंग्या उग्रवादियों की ओर से किए गए हमले के बाद दो सैन्य अभियानों में ‘बड़े पैमाने पर और सुव्यवस्थित तरीके से रोहिंग्या नागरिकों पर हमले’ किए गए।

यह जांच 200 प्रत्यक्षदर्शियों और घटना के बाद बचे लोगों से बातचीत पर आधारित है, और इसे अमेरिकी होलोकॉस्ट संग्रहालय के साथ मिलकर किया गया।

रपट के अनुसार, म्यांमार सेना और अपराधियों ने पीड़ितों का गला रेता, बच्चे एवं नवजात शिशु समेत पीड़ितों को जिंदा जलाया, महिलाओं व बच्चों के साथ दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म किए गए। सरकारी सुरक्षा बलों ने समीप, दूर से, जमीन और हेलीकॉप्टर से लोगों, महिलाओं और बच्चों को गोली मारी।

रपट में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से हिंसा समाप्त करने समेत राखिने में हिंसा के लिए जिम्मेदार सभी पर प्रतिबंध, म्यांमार पर हथियार पाबंदी और इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय में भेजने के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव पेश किया गया है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त, जीद राद अल हुसैन ने इस स्थिति को ‘जातीय नरसंहार का ऐतिहासिक उदाहरण’ बताया था। इसके बावजूद म्यांमार ने लगातार यहां रोहिंग्या के विरुद्ध हिंसा को नकारा है।

राखिने प्रांत में म्यांमार सेना की ओर से हिंसा के बाद 6,18,000 लोगों ने यहां से भागकर बांग्लादेश में शरण ली है।

म्यांमार रोहिंग्या को बांग्लादेश का अवैध प्रवासी मानता है और इस समुदाय को वहां नागरिकता नहीं दी गई है।

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