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आईएसए : सौर ऊर्जा के लिए मैक्रों ने 70 करोड़ यूरो की घोषणा की

नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)| फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को यहां पहले इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) में सौर ऊर्जा के लिए अतिरिक्त 70 करोड़ यूरो के निवेश की घोषणा की। साथ ही उन्होंने ‘एक ऐसे ग्रह के लिए जिसे सभी को साझा करना है, संयुक्त रूप से कर्तव्यों के पालन का’ आह्वान किया। राष्ट्रपति भवन में 23 देशों के प्रमुखों और 10 मंत्रीस्तरीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मैक्रों ने पहले आईएसए सम्मेलन की सह-मेजबानी की।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने सम्मेलन में कहा, फ्रांस विकास एजेंसी, सौर ऊर्जा के लिए अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप 2022 तक अतिरिक्ति 70 करोड़ यूरो का आवंटन करेगी। इसका मकसद सौर उर्जा की एक हजार गीगावॉट से ज्यादा का परिनियोजन करना और 2030 तक सौर ऊर्जा क्षेत्र में एक हजार अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा को लाना है।

मैक्रों ने कहा कि इसमें फ्रांस की कुल 100 करोड़ यूरो की प्रतिबद्धता शामिल है।

उन्होंने कहा, 2015 में, हमने कहा था कि हम सदस्य देशों में परियोजना को समर्थन देने के लिए 30 करोड़ यूरो का आवंटन करेंगे। फ्रांस का यह वादा कुछ महीनों पहले ही पूरा हुआ है।

आईएसए में वर्तमान में 121 सदस्य देश और क्षेत्र हैं। इसे संयुक्त रूप से मोदी और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांकोइस ओलांदे द्वारा शुरू किया गया था। इसकी नींव 2015 में पेरिस जलवायु समझौते में रखी गई थी।

आईएसए के 121 सदस्यों में से 60 ने संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और करीब 30 राष्ट्रों ने इसे मंजूर किया है।

सम्मेलन में मैक्रों ने कहा कि कुछ (अमेरिका) ने पेरिस समझौते से बाहर होने का फैसला किया है जबकि अन्य ने इस पर कदम उठाने का फैसला किया है क्योंकि वह अपने बच्चों और उनके बच्चों की भलाई चाहते हैं।

उन्होंने कहा, हम सभी ने ग्लोबल वार्मिंग का अनुभव किया है। आपमें से कुछ ने अपने इलाकों, अर्थव्यवस्था और नागरिकों की जिंदगियों को गंवाया है।

मैक्रों ने कहा, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे पास एक ही ग्रह है और हमें इसे साझा करना है और हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह एक संयुक्त नियति है जिसका मतलब है कि हम सभी के पास संयुक्त कर्तव्य हैं।

उन्होंने कहा, जलवायु न्याय की विचारधारा के बिना कोई पेरिस समझौता नहीं हो सकता..हम एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहेंगे और कुछ नहीं कर सकेंगे।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने चिन्हित किया कि दो कटिबंधों के बीच बसे देशों में दुनिया की तीन-चौथाई आबादी निवास करती है जिसके पास अगले पांच साल में सौर ऊर्जा की 138 गीगावॉट की क्षमता होगी। हालांकि 50 से 60 फीसदी लोग ही बिजली का प्रयोग करने में सक्षम हैं।

मैक्रों ने कहा कि प्रत्येक देश में परियोजनाओं को पहचानने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, प्रत्येक देश के पास अपनी सौर ऊर्जा क्षमता है, वहां उनकी जरूरतों और उन्हें कितने फाइनेंस की जरूरत है, यह पहचानने की जरूरत है। 36 सदस्य देशों द्वारा 100 परियोजनाओं को सूचीबद्ध किया जा चुका है।

आईएसए के तहत, लक्ष्य को पाने के लिए एलायंस देशों में उत्कृष्टता के 100 केंद्रों पर 10 हजार तकनीशियनों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने किफायती कम कीमत वाले सौर समाधान पर भी जोर दिया और कहा कि एलायंस एक ऐसी जगह हो सकता है, जहां प्रौद्योगिकी लोगों और देश की उम्मीदों को पूरा कर सकती है।

उन्होंने भारत को उसके सौर मिशन के लिए सराहा।

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