कोबे (जापान)/नई दिल्ली| जापान यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के नोट विमुद्रीकृत होने से लोगों को हो रही दिक्कतों को स्वीकार करते हुए कहा कि जरूरत पड़ने पर काले धन के खिलाफ वह और भी कठोर कदम उठाएंगे और नियम तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
मोदी का बयान ऐसे समय में आया है जब लगातार तीसरे दिन नकदी की समस्या से जूझ रहे आम लोगों की लंबी-लंबी कतार बैंकों और एटीएम बूथों के बाहर लगी रही और कई जगहों पर भीड़ गुस्से से भड़क उठी।
इस बीच कांग्रेस और जनता दल (युनाइटेड) सहित विपक्षी पार्टियों ने जापान दौरे के दौरान दिए मोदी के बयान की आलोचना की और कहा कि सरकार को पहले काला धन रखने वाले ‘बड़े धनकुबेरों’ को पकड़ना चाहिए था।
जापान दौरे के अंतिम दिन शनिवार को प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि वह पहले ही लोगों को बेईमानी से मिला धन सफेद करने का मौका दे चुके हैं। इसके बाद उन्हें दूसरे रास्तों को अपनाने के बारे में सोचना पड़ा। विमुद्रीकरण उनमें से एक है, जिसे गुप्त रखना पड़ा।
काले धन पर मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक
प्रधानमंत्री ने कहा कि सितंबर में लोगों को अपनी बेहिसाब संपत्ति घोषित करने का मौका दिए जाने पर बैंकों द्वारा 125 लाख करोड़ रुपये प्राप्त किए गए। मोदी के मुताबिक, “इसके बाद भी अगर आपको लगता है कि हालात पहले की तरह रहें तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।”
प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि विमुद्रीकरण के बाद इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि काले धन के खिलाफ और कदम नहीं उठाए जाएंगे।
मोदी ने कहा कि बैंकों में जमा धन यदि विधिसम्मत नहीं पाया गया या उसके स्रोतों की जानकारी नहीं दी गई तो इसकी शुरुआत से पड़ताल की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरा स्पष्ट मानना है कि यदि बेहिसाब रुपया सामने आता है तो संबंधित बैंक खाते की शुरू से स्वतंत्र जांच की जाएगी।”
मोदी ने यह भी कहा कि इस काम में जितने लोगों की जरूरत पड़ेगी सरकार उतने लोगों को लगाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें पता है कि लोगों को कितनी परेशानी हो रही है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दीर्घकालिक राष्ट्रहित में यह जरूरी है।
मोदी ने कहा कि भारत की आम जनता 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने के उनके फैसले की सराहना कर रही है, लेकिन कुछ लोग राजनीतिक कारणों से सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
जापान में पांच साल पहले 2011 में आए विनाशकारी भूकंप व सुनामी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं जानता हूं यह मुश्किल है. मैं उन लोगों को सलाम करता हूं, तो पांच से छह घंटे तक कतारबद्ध होकर परेशानियां झेल रहे हैं। यह वैसा ही है, जैसे जापान में लोगों ने 2011 में आए भूकंप और सुनामी के दौरान झेला था।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने विमुद्रीकरण का निर्णय जल्जदबाजी में नहीं लिया है। बड़े नोटों को बंद करने के फैसले से पहले, लोगों को सितंबर माह तक अपनी पूंजी दिखाने के लिए 50 दिन का समय दिया गया था।
कांग्रेस प्रवक्ता अजोय कुमार ने कहा, “काले धन के खिलाफ मोदी का तानाशाही सर्जिकल स्ट्राइक का फैसला देश की 99 फीसदी जनता के लिए सर्जिकल इनफेक्शन बन गई है।”
कुमार ने कहा, “एक आदमी के अहंकार ने पूरे देश को बर्बादी के कगार पर पहुंचा दिया है। उन्होंने यह निर्णय बेहद जल्दबाजी में देशवासियों को यह दिखाने के लिए लिया कि वह कुछ कर रहे हैं। लेकिन इससे काले धन का समाधान नहीं होगा।”
जद (यू) के नेता अली अनवर ने भी मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को पहले बड़े कारोबारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए थी।
अनवर ने कहा, “अंबानी और अडानी भी आजादी से पहले के हैं। यहां तक कि विजय माल्या भी इनके कार्यकाल में देश छोड़कर भाग गया। प्रधानमंत्री को पहले ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी। देश की 99 फीसदी जनता को परेशान कर वह क्या हासिल करना चाहते हैं, जिसके पास काला धन है भी नहीं।”