लखनऊ। यूपी की योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के एक प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि इलाहबाद आज से प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि ऋगवेद, महाभारत और रामायण में प्रयागराज का उल्लेख मिलता है। सिर्फ वह ही नहीं, बल्कि समूचे इलाहाबाद की जनता, साधु और संत चाहते थे कि इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से जाना जाए। बता दें कि 444 साल पहले इलाहाबाद को प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था लेकिन 1574 में अकबर ने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था। इसका पता अकबरनामा, आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से ज्ञात होता है।
बता दें कि यूपी के सीम योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इलाहाबाद में कुंभ मार्गदर्शक मंडल की बैठक के बाद हे इस बात की घोषणा कर दी थी कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया जाएगा। योगी ने कहा कि मार्गदर्शक मंडल की बैठक में हर तबके खासकर अखाड़ा परिषद, प्रबुद्ध वर्ग से एक प्रस्ताव आया है कि इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया जाए।
मुख्यमंत्री ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने को समर्थन देते हुए कहा कि जहां दो नदियों का संगम होता है उसे प्रयाग कहा जाता है। उत्तराखंड में भी ऐसे कर्णप्रयाग और रुद्रप्रयाग स्थित है। हिमालय से निकलने वाली देवतुल्य दो नदियों का संगम इलाहाबाद में होता है और यह तीर्थों का राजा है। ऐसे में इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज किया जाना उचित ही होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हिमालय से निकलने वाली दो देव तुल्य पवित्र नदियां- गंगा और यमुना का संगम इस पावन धरती पर होता है तो स्वभाविक तौर पर यह सभी प्रयागों का राजा है, इसलिए यह प्रयागराज कहलाता है। हमने उनकी इस बात का समर्थन किया है और हमारा प्रयास होगा कि बहुत जल्द हम इस नगर का नाम प्रयागराज करें।”
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही प्रयागराज मेला प्राधिकरण का गठन कर चुकी है। कुंभ में पहली बार श्रद्धालुओं को किले के भीतर अक्षयवट वृक्ष और सरस्वती कूप के भी दर्शन होंगे। कल्पवासियों और संत जनों के लिए खाद्यान्न आपूर्ति की समुचित व्यवस्था की जा रही है और 100 से अधिक मिल्क बूथ लगाए जा रहे हैं।