लखनऊ | राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष अजित सिंह ने आज समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके अड़ियल रवैए की वजह से ही उप्र में महागठबंधन नहीं बन पाया।
अजित ने दावा किया कि अब बगैर मुलायम के ही उप्र में गठबंधन बनेगा, जिसमें फिलहाल जनता दल (युनाइटेड), रालोद व बीएस 4 शामिल होगा। लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में अजित ने यह बात कही। इस मौके पर राज्यसभा सांसद शरद यादव, सांसद के.सी. त्यागी और बीएस 4 के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा, “हमारी कोशिश थी की चौधरी चरण सिंह व डॉ. राम मनोहर लोहिया के अनुयायी एक मंच पर आकर सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन बनाएं, लेकिन यह सफल नहीं हो पाया। मुलायम चाहते हैं कि उप्र में गठबंधन न बने, बल्कि समाजवादी पार्टी में अन्य पार्टियों का विलय हो जाए।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले की आलोचना करते हुए अजित ने कहा, “बिना तैयारी किए केंद्र सरकार ने इतना बड़ा फैसला ले लिया। आज पूरा देश लाइन में लगा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा संकट आ गया है। अगर पूरी तैयारी के बाद यह फैसला लिया गया होता तो आज लोगों को इतनी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।”
शरद यादव ने कहा, “उप्र में महागठबंधन बनाने की कवायद शुरू हुई थी, जो अपने अंजाम तक नही पहुंच पाई। लखनऊ में ही पांच नवंबर को सभी लोग एक मंच पर एकत्र हुए थे कि सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ एक मजबूत मंच तैयार हो सके, लेकिन मुलायम के रुख की वजह से ऐसा नहीं हो पाया।”
शरद ने कहा, “मुलायम के रवैये की वजह से ही महागठबंधन नहीं बन पाया। हम चाहते थे कि सभी लोग एकजुट हों, इसीलिए पांच नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा, पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद, अजित सिंह सहित तमाम लोग एक मंच पर एकत्र हुए थे, लेकिन यह कोशिश बेकार हो गई।”
सांसद के.सी. त्यागी ने कहा, “लोकसभा चुनाव में उप्र में भाजपा को कुल 42़1 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि सपा और बसपा मिलकर केवल 42.2 प्रतिशत पाने में ही कामयाब हुए थे। इसीलिए ये दोनों दल भी अगर मिल जाएं तो भाजपा को नहीं हरा सकते। उप्र में महागठबंधन के बिना भाजपा को हराना मुश्किल है।”
एक सवाल के जवाब में त्यागी ने कहा, “मुलायम सिंह बिहार चुनाव में महागठबंधन बनाने को सहमत हो गए थे। सभी चीजों पर सहमति बन गई थी, लेकिन बाद में वह पीछे हट गए। बिहार में महागठबंधन चाहते थे और उप्र में उन्होंने पार्टियों के विलय की शर्त रख दी। यह सर्वथा अनुचित था। अब गठबंधन एक अलग शक्ल में रहेगा और उप्र में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जल्द ही इसका स्वरूप सबके सामने होगा।”