लखनऊ। आज विश्व चिकित्सा दिवस भारत समेत पूरे विश्व भर में मनाया जा रहा है । यह दिवस डॉ बिधान चंद्र रॉय जो एक महान चिकित्सक होने के साथ ही पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री भी थे की याद में मनाया जाता है । डॉक्टर दिवस हमारे दैनिक जीवन में चिकित्सक भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर है । हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में अस्पतालों एवं क्लीनिक में डॉक्टर दिवस पर लोग अपने चिकित्सकों से कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उन्हें उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता से एक बेहतर एवं स्वस्थ समाज विकसित करने के प्रयासों के लिए उन्हें याद किया जाता है।
आज की वर्तमान परिस्थिति में जबकि कोरोना का प्रकोप समस्त विश्व में व्याप्त है तब इन डॉक्टर्स ने जिस प्रतिबद्धता के साथ मरीजों का इलाज किया है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है इन्हीं डॉक्टर्स में से एक डॉक्टर नरेंद्र सिंह कुशवाहा जोकि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में हड्डी एवं जोड़ विभाग में एडिशनल प्रोफेसर तथा जॉइंट रिप्लेसमेंट एवं आर्थ्रोस्कोपी सर्जन के पद पर कार्यरत हैं। मरीजों की सेवा करते हुए डॉक्टर साहब खुद भी कोरोनावायरस से संक्रमित हुए परंतु अपने दृढ़ निश्चय से स्वस्थ होकर पुनः अपने कर्तव्य पथ पर लौट चुके हैं तथा ना जाने कितने कोरोनावायरस मरीजों के चिकित्सा में सहयोग दिया है तथा नई जिंदगी प्रदान की है।
भारत में पाई जाने वाली अनेक बीमारियों में अर्थराइटिस बहुत आम है , तथा उम्र दराज व्यक्तियों मैं घुटने की आर्थराइटिस बहुतायत में पाई जाती है । इससे पीड़ित मरीज के दर्द रहित एवं बेहतर जीवन के लिए जोड़ प्रत्यारोपण हमेशा अंतिम विकल्प के रूप में देखा जाता है। पिछले दो दशकों हुए चिकित्सकीय अनुसंधानो के फलस्वरूप बेहतरीन इम्पलांट डिजाइनिंग एवं परिष्कृत सर्जिकल तकनीक की वजह से जोड़ प्रत्यारोपण सर्जरी को सबसे सुरक्षित एवं टिकाऊ सर्जरी में से एक बनाती है।
दिबियापुर , जिला औरैया के निवासी डॉक्टर नरेंद्र सिंह कुशवाहा अपने मेडिकल छात्रों के बीच एक उत्कृष्ट शिक्षक तथा समाज सेवा से ओतप्रोत और एक कुशल सर्जन भी हैं जिन्हें पिछले एक दशक से घुटना एवं कूल्हा प्रत्यारोपण विधि में महारत हासिल है। अनेकानेक मरीज जो चलने फिरने में असमर्थ एवं असहाय थे उन मरीजों का ऑपरेशन करके उन सब को एक नई जिंदगी प्रदान की है। आज इस डॉक्टर्स डे के उपलक्ष में भारत के ऐसे सभी कर्मठ एवं निस्वार्थ भाव से रोगियों की सेवा करने वाले चिकित्सकों को यह देश में नमन करता है।