दिल्लीः आज 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे भारत में मनाया जा रहा है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन के बाद से आषाढ़ मास समाप्त हो जाता है और सावन का प्रारंभ होता है। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है। लेकिन गुरु को समर्पित, गुरु पूर्णिमा को भारत में बहुत ही श्रद्धा-भाव से मनाया जाता है। अगर शास्त्रों की बात करे तो इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। व्यासजी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है, क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था।
अनेकों शास्त्रों में गुरु की महिमा के बारे में बताया गया है ।
1.गुरु की महत्ता का वर्णन करते हुए संत कबीर ने कहा था कि –
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
अर्थात गुरू और गोविन्द (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोविन्द को? ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
2.हमारे प्राचीन शास्त्र गुरुगीता में गुरु महिमा का वर्णन इस प्रकार मिलता है
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।
अर्थात, गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ।
जानिए मानव जीवन में क्या होता है गुरू का महत्व
आदिकाल से हमारे समाज ने गुरु की महत्ता को बताया है।’गुरु बिन ज्ञान न होहि’ का सत्य भारतीय समाज का मूलमंत्र रहा है। मनुष्य के जीवन में उसका पहला गुरू उसके मात-पिता ही होते है। माता बालक की प्रथम गुरु होती है, क्यों की बालक उसी से सर्वप्रथम सीखता है। यहां तक वशिष्ठ को गुरु रूप में पाकर श्रीराम ने ,अष्टावक्र को पाकर जनक ने और संदीपनी को पाकर श्रीकृष्ण – बलराम ने अपने आपको बड़ा भाग्यशाली माना ।गुरु की महत्ता बनाए रखने के लिए ही भारत में गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन या व्यास पूजन कहा जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।आप जिसे भी अपना गुरु बनाते हैं,आज के दिन विशेषरूप से उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है।क्यों कि उनके ज्ञान के प्रकाश से आपके जीवन का अंधकार दूर होता है।अच्छे गुरु के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति संभव है।केवल गुरु ही नहीं बल्कि अपने से बड़े और अपने माता-पिता को गुरु तुल्य मानकर उनसे सीख लेनी चाहिए एवं उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए।