पाकिस्तानः प्रथम विश्व युद्ध में लड़े 3.20 लाख भारतीय सैनिकों के रिकॉर्ड ब्रिटिश इतिहासकारों ने लाहौर के संग्रहालय में खोजे हैं। इस खोज ने प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों के व्यापक योगदान को फिर साबित किया है। इनमें पंजाब व आसपास के सैनिकों के नाम दिए गए हैं। ये दस्तावेज संग्रहालय में 97 वर्षों से बिना किसी के ध्यान में आए पड़े थे। इन्हें डिजिटाइज करके वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।
भारतीय मूल के कुछ ब्रिटिश परिवारों ने रिकॉर्ड में दर्ज सैनिकों और उनके पिता, गांव व रेजिमेंट के नामों से अपने पूर्वजों की पहचान की है। यह सैनिक अरब देशों, पूर्वी अफ्रीका, गैलीपोली आदि में हुए युद्धों में शामिल थे। कई परिवारों ने 100-100 साल पुरानी उनकी तस्वीरें और उनके दिलचस्प किस्से भी साझा किए। ब्रिटिश और आयरिश सैनिकों के वंशज इसी प्रकार के रिकॉर्ड से अपने पूर्वजों का पता लगाते आए हैं।
कई गांवों से 40% लोग तक सैनिक बने
दस्तावेज डिजिटाइज कर रहे यूके पंजाब हेरिटेज एसोसिएशन के अध्यक्ष अमनदीप माड्रा ने बताया कि कई गांवों से 40-40 प्रतिशत लोगों ने अपने नाम सेना में लिखवाए थे। करीब 45 हजार रिकॉर्ड तो केवल जालंधर, लुधियाना और सियालकोट (वर्तमान में पाकिस्तान में है) के सैनिकों के हैं।
26,000 पृष्ठों के रिकॉर्ड
इन रिकॉर्ड को पंजाब सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध पूरा होने के बाद 1919 में तैयार करवाया था। इनमें 26,000 पृष्ठ हैं, जिनमें से कुछ पर छपाई और कुछ पर हस्तलेख से नाम व बाकी जानकारियां दर्ज हैं। अनुमान है कि अविभाजित भारत के पंजाब व आसपास के क्षेत्रों के करीब 25 जिलों के 2.75 लाख सैनिकों के नामों का डिजिटाइजेशन जल्द पूरा होगा।
योगदान भूल चुके थे अंग्रेज
प्रथम विश्व युद्ध पर बनी फिल्म 1917 में सिख सैनिक दिखने को अंग्रेज अभिनेता लॉरेंस फॉक्स ने अजीब बताया। बाद में माफी मांगी।
ब्रिटिश भारतीय फौज में 1.30 लाख सिख सैनिकों के प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने की बात कही जाती है, नई खोज से यह आंकड़ा और भी बड़ा साबित हो सकता है। अनुमान हैं कि अंग्रेज सेना का छठवां हिस्सा भारतीय हिंदू, सिख और मुस्लिम थे। अधिकतर पंजाब के सभी धर्मों के लोग थे।