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1983 विश्वकप जीत का जश्न मनाती कबीर खान की 83, फिल्म के कारण दर्शकों की आंखों में आए आंसू

मुंबईः फिल्म ‘83’ क्रिकेट के एहसासों की जीत है। निर्देशक कबीर खान ने ये फिल्म वहां से शुरू की है जहां क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास वर्ल्ड कप खेलने का न्यौता आता है। और, खत्म वहां की है जिसके बारे में पूरा देश और दुनिया के किसी भी कोने में बसा क्रिकेट प्रेमी भारतीय जानता है। जिस कहानी का आदि और अंत पता हो, उसके बीच के किस्से ही दर्शक का ध्यान बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। और, फिल्म ‘83’ यही करती है। फिल्म बेहतरीन लिखी गई है, और आज के समय में जब दर्शक थियेटर से लगभग दूरी बना चुके हैं उस समय ये फिल्म दर्शकों को थियेटर में खींचने पर मजबूर करती है।

कबीर ने किसी भी खिलाड़ी की निजी जिंदगी में जाने का रिस्क नहीं लिया। असीम मिश्रा की सिनेमैटोग्राफी सिनेमाहॉल में बैठे हुए स्टेडियम का एहसास कराती है। दर्शक क्रिटक्स सभी का एक सुर में मानना है कि फिल्म देर से रिलीज हुई, लेकिन दुरुस्त है। फिल्म इमोशन, जोश और जज्बे से भरी हुई है।

एक यूजर ने लिखा- क्या शानदार फिल्म थी। रणवीर तुम्हारी एक्टिंग को शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। फिल्म देखकर आंखों में आंसू आ गए। एक ने लिखा- फुल पैसा वसूल फिल्म है।

एक ने लिखा. अपने दमदार अभिनय के जरिए अभिनेता रणवीर सिंह ने समां बांध दिया है। वहीं रणवीर-दीपिका की रियल लाइफ केमेस्ट्री भी फिल्म में बखूबी दिखाई गई है। पंकज त्रिपाठी ने हमेशा की तरह शानदार काम किया है। ताहिर राज भसीन सुनील गावस्कर के किरदार में खूब फिट बैठे हैं।

 

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