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दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में इस तरह गौतम अडानी ने दर्ज किया अपना नाम, जानिए पूरी कहानी

लखनऊः ऐशियाई मूल में अगर अरबपतियों की बात की जाए तो मुकेश अंबनी के बाद अगर किसी और अरबपति का नाम सामने आता है, तो वो कोई और नहीं बल्कि अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ही होंगे। इन दोनों अरबपतियों के बीच हमेशा से आगे निकलने की दौड़ चला करती हैं। कभी इस दौड़ में अंबनी आगे दिखाई देते हैं, तो कभी अडानी। हम सभी लोगों ने अंबानी परिवार के बारे में बहुत सी चीजे सुन रखी हैं लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे। जिन्होंने अडानी के बारे में पढ़ा होगा या उनके जीवन की सफलताओं या असफलताओं के बारे में जानने की कोशिश की होगी।

अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक है। तो ये खबर आपके लिए है। जहां पर हम आपको बताएंगे की कैसे गौतम अडानी ने सफलताओं की सीढ़ीयों पर चलकर आज ये मुकाम हासिल किया है। बता दें कि अडानी समूह आपके घर की रसोई से लेकर देश के हवाईअड्डों तक में अपना दखल रखते है। आइए जानते हैं कहां-कहां फैला है गौतम अडानी का साम्राज्य।

दुनिया के टॉप-10 अरबपतियों में शामिल
मुकेश अंबानी को पछाड़ने के बाद गौतम अडानी एक बार फिर विश्व के 10 शीर्ष अमीरों की सूची में पहुंच गए हैं। अब अडानी 91.2 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ 10 वें नंबर पर पहुंच गए। जबकि, मुकेश अंबानी 91.0 अरब डॉलर के साथ 11वें स्थान पर आ गए। फोर्ब्स रियल टाइम बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक गुरुवार को अडाणी की संपत्ति में 2.1 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई। इससे पहले तीन फरवरी को अडानी ने अंबानी को पछाड़कर एशिया के सबसे अमीर शख्स का खिताब अपने नाम किया था, लेकिन 9 फरवरी को अंबानी फिर उनसे आगे निकल गए, वहीं अब एक बार फिर गौतम अडानी ने लंबी छलांग लगाते हुए टॉप-10 में जगह बना ली है।

ऐसे शुरू हुआ अडानी का सफर
गौतम अडानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 24 जून 1962 को हुआ था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनका परिवार अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहता था। गुजरात विश्वविद्यालय से बीकॉम की पढ़ाई करने के बाद गौतम अडानी कारोबार के लिए मुंबई पहुंवे और यहीं से शुरू हुआ उनका सफर। उन्होंने 1978 में हीरा (डायमंड) बाजार में अपना हाथ आजमाया। लेकिन उनकी क़िस्मत चमकनी शुरू हुई 1981 से जब उनके बड़े भाई ने उन्हें अपने प्लास्टिक के कारोबार से जुड़ने के लिए अहमदाबाद बुलाया। इसके बाद 1988 में अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड का उदय हुआ, जिसने धातु, कृषि उत्पाद और कपड़ा जैसे उत्पादों की कमोडिटी ट्रेडिंग शुरू की।

1991 के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा
साल 1991 में हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत अडानी ग्रुप का कारोबार दिन-ब-दिन बढ़ता गया और वे एक मल्टीनेशनल कारोबारी बनकर उभरे। 1995 गौतम अडानी के लिए बेहद सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला। गौतम अडानी ने अपने कारोबार में डायवर्सिफिकेशन को जारी रखा और 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व में आई। इसके 10 साल बाद कंपनी ने पावर जनरेशन के कारोबार में कदम रख दिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और घर के राशन से लेकर कोयले की खदान तक, रेलवे से लेकर हवाई अड्डे व बंदरगाह तक, यही नहीं बिजली मुहैया कराने के कारोबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

सात कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट
हाल ही में अडानी समूह की कंपनी अडानी विल्मर शेयर बाजार में लिस्ट हुई और निवेशकों की खूब चांदी कराई। यह शेयर बाजार में लिस्ट होने वाली अडानी ग्रुप की सातवीं कंपनी है। इससे पहले अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पोर्ट्स और अडानी पावर लिस्ट हो चुकी हैं। 2020 की शुरुआत से अडानी ग्रीन और अडानी टोटल गैस के शेयरों में 1000 फीसदी से अधिक तेजी आई है। बता दें कि अडानी इंटरप्राइजेज के मुताबिक साल 1994 में बीएसई और एनएसई में पहली कंपनी का शेयर सूचीबद्ध हुआ था। उस समय इसके एक शेयर की क़ीमत 150 रुपये थी, लेकिन ये सिर्फ एक शुरुआत थी।

मुंदरा पोर्ट
साल 1995 में अडानी समूह ने मुंदरा बंदरगाह का परिचालन शुरू किया। क़रीब 8 हजार हेक्टेयर में फैला अडानी का मुंदरा पोर्ट भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है। यह अडानी समूह के लिए सबसे फायदेमंद साबित हुआ है।

राशन कारोबार 
जनवरी 1999 में अडानी ग्रुप ने विल एग्री बिजनेस ग्रुप विल्मर के साथ हाथ मिलाकर खाद्य तेल के कारोबार में कदम रखा। आज देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला फॉर्च्यून खाद्य तेल अडानी-विल्मर कंपनी ही बनाती है। कंपनी आटा, चावल, दाल, चीनी भी बनाती है।

अनाज भंडारण
राशन के उत्पादों के निर्माण के साथ ही साल 2005 में अडानी ग्रुप ने एक और बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय खाद्य निगम के साथ मिलकर देश में बड़े-बड़े साइलोज बनाने की शुरुआत की। साइलोज में बड़े पैमाने पर अनाज का भंडारण किया जाता है।

कोयला खदान
साल 2010 में अडानी ने ऑस्ट्रेलिया की लिंक एनर्जी से 12,147 करोड़ में कोयला खदान खरीदी थी। गेली बेस्ट क्वीन आइलैंड में मौजूद इस खदान में 7.8 अरब टन के खनिज भंडार हैं जो हर साल छह करोड़ टन कोयला पैदा कर सकती है।

रक्षा उपकरण
साल 2015 के बाद अडानी समूह ने सेना को रक्षा उपकरणों की आपूर्ति का काम भी शुरू किया। इसके साथ ही कुछ समय बाद अडानी ने प्राकृतिक गैस के क्षेत्र में कारोबार बढ़ाया। 2017 में उनकी कंपनी ने सोलर पीवी पैनल बनाना शुरू किया।

एयरपोर्ट
2019 में अडानी समूह ने हवाई अड्डे के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम समेत देश के छह हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और संचालन की जिम्मेदारी वर्तमान में अडानी समूह के पास है।

अन्य कारोबार
बता दें कि गौतम अडानी के नेतृत्व वाले अडानी समूह के पास मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके साथ ही गौतम अडानी का समूह निजी क्षेत्र का देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट ऑपरेटर, पावर जेनरेटर और सिटी गैस रिटेलर है।

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