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ऑपरेशन गंगा को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का बड़ा बयान, बोले- ऐसा कोई भी देश नहीं है, जिसने इतनी गंभीरता से नागरिकों को घर लाने का काम किया

दिल्लीः यूक्रेन संकट के बीच केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को भारत के अभियान ऑपरेशन गंगा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुझे लगता है कि किसी और देश का ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिसने इतनी गंभीरता से नागरिकों को घर लाने का काम किया। बड़े-बड़े देश भी विफल रहे हैं। चीन ने 5 तारीख को पहली बार कुछ लोगों को निकाला। अमेरिका ने सलाह दी की पहले ही निकल जाओ नहीं तो हम जिम्मेदार नहीं।
गोयल ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पार्टी ने यूक्रेन से भारतीयों की निकासी के काम में भी राजनीति करने की कोशिश की। जब उन्होंने कहा कि जब किसी परिवार पर संकट आता है तो लोग आपसी विवादों को छोड़कर उस संकट से निपटने में लग जाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इस दौरान भी गलत जानकारियां फैलाने के प्रयास किए।
गोयल ने कहा कि इस संकट के समय में जब कांग्रेस पार्टी देश का हौसला बढ़ा सकती थी, केंद्र सरकार के साथ खड़े होकर मदद कर सकती थी। तब केरल कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से आपत्तिजनक और गलत पोस्ट शेयर किए गए। जब भारत को रूस और यूक्रेन दोनों की सहायता चाहिए थी, तब कांग्रेस के कुछ प्रमुख नेता रूस के खिलाफ बयान दे रहे थे। ये एक तरह से निकासी कार्य पर संकट पहुंचाने वाले बयान थे।
पीयूष गोयल ने कहा कि राहुल गांधी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बातों को शेयर कर रहे थे। इमरान खान की बातों को अगर राहुल गांधी शेयर करेंगे तो यह बहुत शर्म की बात है। यह चिंता की बात है कि कांग्रेस और इसके सहयोगी दल ऐसे संकट के समय में भी राजनीति को ज्यादा अहमियत देते हैं। हमारे मंत्री जो यूक्रेन के पड़ोसी देशों में गए थे वह किसी अधिकारी की सेवा नहीं ले रहे थे। खुद काम कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि हमें यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि छात्रों का अंतिम जत्था युद्धग्रस्त पूर्वी यूक्रेन को छोड़कर पश्चिमी यूक्रेन की ओर बढ़ रहा है, वे जल्द ही पड़ोसी देशों में प्रवेश करेंगे और वहां से निकाले जाएंगे।
गोयल ने बताया कि भारत सरकार ने 15 फरवरी को एडवाइजरी जारी की, उसके बाद हमने दो और एडवाइजरी जारी की। युद्ध छिड़ने से पहले 4,000 लोग वापस आए। यह संख्या और भी ज्यादा होनी चाहिए थी। एडवाइजरी को न तो छात्रों ने सलाह को गंभीरता से लिया और न ही उनके विश्वविद्यालयों ने उन्हें यूक्रेन छोड़ने की अनुमति दी।
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