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श्रीलंका में मंहगाई की मार से आम जनता त्रस्त, पेट भरना भी हुआ मुश्किल, आलू 200 तो मिर्च 700रु किलो

श्रीलंकाः चीन के कर्ज के जाल में फंसे श्रीलंका में हर दिन के साथ हालात बदतर होते जा रहे हैं। देश में खाद्ध संकट इस कदर गहरा गया है कि लोगों के लिए पेट भरना तक मुश्किल हो गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खाली हो चुका है और महंगाई की मार ने जनता को बेहाल कर दिया है। ताजा हालातों की बात करें तो एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है।

विदेशी मुद्रा भंडार का बुरा हाल
दरअसल,  चीन सहित कई देशों के कर्ज तले दबा श्रीलंका अब दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुका है। एक रिपोर्ट की मुताबिक, जनवरी में श्रीलंका का विदशी मुद्रा भंडार 70 फीसदी से ज्यादा घटकर 2.36 अरब डॉलर रह गया था, जिसमें लगातार गिरावट आती जा रही है। विदेशी मुद्रा की कमी के चलते ही देश में ज्यादातर जरूरी सामानों दवा, पेट्रोल-डीजल का विदेशों से आयात नहीं हो पा रहा है। खाने-पीने की चीजों के आयात पर पड़ी मार ने महंगाई को दिन दूना रात चौगुना बढ़ा दिया है और इसकी सबसे ज्यादा मार देश की आम जतनता पर पड़ रही है। ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में कुकिंग गैस और बिजली की कमी के चलते करीब 1,000 बेकरी बंद हो चुकी हैं और जो बची हैं उनमें भी उत्पादन ठीक ढंग से नहीं हो पा रहा है।

रसोई गैस की कमी से बिगड़े हालात
रिपोर्ट में एन.के. सीलोन बेकरी ओनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जयवर्धने के हवाले से कहा गया है कि कुछ शहरी क्षेत्रों में रसोई गैस की कमी के कारण ब्रेड की कीमतें आसमान छू रही हैं। इनका दाम दोगुना बढ़कर लगभग 150 श्रीलंकाई रुपये (0.75 डॉलर) पर पहुंच गया है। इसके अलावा दूध खरीदना तो यहां के लोगों के लिए सपने देखने के समान हो चुका है। रिपोर्ट की मानें तो इस हफ्ते की शुरुआत में एक इंडस्ट्री एसोसिएशन ने जानकारी दी कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण गैस नहीं मिल पा रही है, इस कारण बेकरियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और लोगों की जेब पर बोझ बढ़ गया है।

आलू 200, तो मिर्च 700 रुपये किलो 
गौरतलब है कि पिछले साल 30 अगस्त को, श्रीलंका सरकार ने मुद्रा मूल्य में भारी गिरावट के बाद राष्ट्रीय वित्तीय आपातकाल की घोषणा की थी और उसके बाद खाद्य कीमतों में काफी तेज बढ़ोतरी हुई। इस संबंध में बीते दिनों आई एक रिपोर्ट में देश में महंगाई को आंकड़ों के साथ पेश किया गया था। जनवरी में आई इस रिपोर्ट में बताया गया था कि नवंबर 2021 से दिसंबर 2021 के बीच महज एक महीने के भीतर ही श्रीलंका में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 15 प्रतिशत बढ़ गई। इसके बाद जो हालात बने उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश में एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपये हो गई, एक ही महीने में मिर्च की कीमत में 287 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं  बैंगन की कीमत में 51 फीसदी बढ़ी,  तो प्याज के दाम 40 फीसदी तक बढ़ गए। एक किलो आलू के लिए  200 रुपये तक चुकाने पड़े।

दिवालिया होने की कगार पर पहुंचा
मुद्रास्फीति का रिकॉर्ड स्तर, खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल और कोरोना महामारी से पैदा हुई परेशानियों के कारण देश के खजाने सूख रहे हैं। हालात यहां तक खराब हो चुके हैं कि इस देश के इस साल दिवालिया होने की आशंका है। एक पूर्व रिपोर्ट में कहा गया है कि देश को अगले 12 महीनों में घरेलू और विदेशी ऋणों में अनुमानित 7.3 अरब डॉलर चुकाने की जरूरत है, जबकि उसके पास देश चलाने के लिए भी पैसे नही बचे हैं।

देश के 5 लाख लोग गरीबी में फंसे
विश्व बैंक की ओर से भी ये अनुमान जताया गया था कि कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद से देश में 500,000 लोग गरीबी के जाल में फंस गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जो परिवार पहले संपन्न माने जाते थे, उनके लिए भी दो जून की रोटी जुटानी मुश्किल पड़ रही है। देश के अधिकांश परिवारों के लिए अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने लाले पड़े हैं। देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिति के बीच यात्रा और पर्यटन क्षेत्र में ही करीब दो लाख से ज्यादा लोगों का रोजगार खत्म हो चुका है और यही हालात दूसरे क्षेत्रों में बने हुए हैं।

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