लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुत्ते के काटने से बच्चे की मौत के बाद आखिरकार नगर निगम अपनी कुम्भकर्णी नींद से जाग गया है। लखनऊ में बीते दिनों कुत्तों को पकड़ने का काम चला। नगर निगम की ज़ोन-6 टीम ने ज़ोनल अफसर के नेतृत्व में पूरे दिन अभियान चलाकर आवारा कुत्तों को पकड़ा। बता दें कि बुधवार को आवारा कुत्तों ने लखनऊ के ठाकुरकंज इलाके में दो बच्चों को नोच डाला था। दोनों को तत्काल ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां एक बच्चे ने दम तोड़ दिया। जबकि दूसरे की हालत नाजुक बनी हुई है। हालांकि ये केवल एक इलाके की बात नहीं है। लखनऊ के किसी भी इलाके में चले जाइये, आवारा कुत्ते झुण्ड बनाकर आपको रोड पर बैठे दिख जाएंगे। अक्सर ये बाइक सवारों को दौड़ा भी लेते हैं जिससे एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।
राजधानी लखनऊ में कुत्तों के आतंक से बच्चे ही नहीं बड़े बूढ़े भी दहशत में है। शहर के तमाम इलाकों में लोग अपने बच्चों को घरों से बाहर नहीं निकलने देते। राजधानी में रोजाना 200 से ज्यादा लोग आवारा कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहर में कुत्तों का ज्यादा आतंक है। यह आंकड़े सरकारी अस्पतालों में लग रहे रैबीज के इंजेक्शन बता रहे हैं। इंजेक्शन लगवाने वालों में 30 प्रतिशत बच्चे हैं। बुधवार को ठाकुरगंज में कुत्ता काटने से मामसू की मौत की घटना से लोग सहमे हुए हैं।
शहर के 70 प्रतिशत इलाकों में कुत्तों का आतंक है। नगर निगम के आंकड़ों के विपरीत इन इलाकों में हजारों की संख्या में कुत्ते हैं। जिनसे लोग आतंकित हैं। लखनऊ में कुत्तों के काटने से जितने लोग जख्मी हो रहे हैं उससे ज्यादा गिरने की वजह से जख्मी हो रहे हैं। नगर निगम में जो शिकायतें आयी हैं उनमें से ज्यादातर ऐसी ही हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें बच्चों पर हमला की हैं। ढाई वर्षों में 1034 शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनमें ज्यादातर बच्चों के लिए की गई हैं।