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हमें पाकिस्तान चले जाने की बात करने वाले अच्छी तरह समझ लें, हम कहीं जाने वाले नहीं हैं: मौलाना महमूद मदनी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के देवबंद में जमीयत ए उलेमा के सम्मेलन में मौलाना महमूद मदनी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हमारा खान-पान अलग, जिसको पसंद नहीं वो देश छोड़कर कहीं और चले जाए। मौलाना मदनी ने कहा कि हमें पाकिस्तान चले जाने की बात करने वाले अच्छी तरह समझ लें कि हम कहीं जाने वाले नहीं हैं। क्योंकि ये देश हमारा है और हम यहां के बाशिंदे हैं।

उन्होंने एक किस्से का जिक्र करते हुए कहा, ‘2014 में सीबीआई ने मेरे खिलाफ केस किया। मैंने 5 साल से ज्यादा केस लड़ा। इसलिए बता रहा हूं सब्र करना किसे कहते हैं। सम्मेलन को संबोधित करते हुए जमीयत अध्यक्ष के मौलाना महमूद मदनी ने आज कहा कि ये मुल्क हमारा और हम इसे बचाएंगे। किसी को अगर हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो कहीं और चले जाओ। हमको मौका मिला था पाकिस्तान जाने का। लेकिन हम नहीं गए। बात-बात पर पाकिस्तान भेजने वाले खुद पाकिस्तान चले जाएं।

जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, हमारे लहजे में इन्हें नफरत कहां से नजर आ रही है। हम डराते नहीं हैं आप डराने का काम करते हैं। हम गैर नहीं हैं, हम इस मुल्क के हैं, ये हमारा मुल्क है। हम अपने मुल्क के लिए अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। हमारी तहजीब, खाने-पीने के तरीके अलग हैं। अगर तुमको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है तो तुम कहीं और चले जाओ। वो जरा-जरा सी बात पर कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। हमें तो मौका मिला था, लेकिन हमने उसे रिजेक्ट कर दिया।

जमीयत अध्यक्ष ने आगे कहा कि, हर चीज पर समझौता हो सकता है लेकिन विचारधारा पर समझौता नहीं हो सकता है। मदनी ने कहा कि शरीयत में दखल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मौलाना मदनी ने आगे कहा कि, आज हमारे वजूद का सवाल है। मुसलमानों को पहले से ही जुल्म सहने की आदत है। हमें पहले मुल्क बचाना है। इसीलिए हम मुल्क की बात पहले कर रहे हैं, लेकिन इससे भी बहुत सारे लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। अगर वो राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो वो सही है, लेकिन अगर हम ये बात करेंगे तो उसे दिखावा कहा जाता है।

मौलाना मदनी ने कहा कि हमें पाकिस्तान चले जाने की बात करने वाले अच्छी तरह समझ लें कि हम कहीं जाने वाले नहीं हैं। क्योंकि ये देश हमारा है और हम यहां के बाशिंदे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अल्पसंख्यक माना जाता है, लेकिन हम दूसरी बड़ी बहुसंख्यक आबादी है और नफरत फैलाने वालों के इतर यदि हम अपने सोच वालों को मिलाएं तो हम सबसे बड़ी आबादी है। क्योंकि देश में नफरत वाले लोग बहुत कम हैं। जबकि राष्ट्र निर्माण और देश को मजबूत करने वाले लोग ज्यादा हैं।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH