नई दिल्ली। देश की बढ़ती जनसंख्या को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि ‘सिर्फ खाना और जनसंख्या बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी कर लेते हैं। जंगल में सबसे ताकतवर होना जरूरी है लेकिन दूसरों की रक्षा करना मनुष्य की निशानी है।’
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने परिवर्तन के नियम से लेकर जनसंख्या तक के मुद्दे पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि ‘सिर्फ जिंदा रहना किसी मनुष्य के जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी कर लेते हैं। शक्तिशाली ही जीवित रहेगा, ये जंगल का नियम है। वहीं शक्तिशाली जब दूसरों की रक्षा करने लगे, ये मनुष्य होने की निशानी है।’
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश के विकास पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि देश ने हाल के वर्षों में काफी तरक्की की है, विकास देखा है। भारत ने पिछले कुछ सालों में इतिहास की बातों से सीखा और सबक लेकर भविष्य के विचारों को समझते हुए विकास किया है। अगर कोई 10 या 12 साल पहले ऐसा कहता तो कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता। भागवत ने कहा कि जो विकास आज दिख रहा है, इसकी नींव 1857 में रख दी गई थी। बाद में विवेकानंद ने अपने सिद्धांतों से उसे आगे बढ़ाया था। हालांकि इन सबके बीच मोहन भागवत ने इस बात को माना कि विज्ञान और बाहरी दुनिया की स्टडी में संतुलन का अभाव स्पष्ट दिखाई दे जाता है।