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17 साल की अंकिता को शाहरुख ने पेट्रोल डालकर जिंदा जलाया, पुलिस कस्टडी में हंसता रहा आरोपी

दुमका। झारखंड के दुमका में एक सिरफिरे ने बात करने से मना करने पर 17 साल की लड़की को ज़िंदा जला दिया। आरोपी ने 6 दिन पहले इस घटना को अंजाम दिया था। रविवार को अंकिता नाम की लड़की ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। 23 अगस्त को अंकिता दुमका के जरुवाडीह मोहल्ले में अपने घर में सोई हुई थी। तभी लगभग 5 बजे पड़ोस के शाहरुख हुसैन ने खिड़की से पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। परिजन उसे दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए। प्राथमिक इलाज के बाद रिम्स रेफर कर दिया था।

शाहरुख अंकिता को 2 साल से परेशान कर रहा था। अंकिता ने इसकी शिकायत अपने पिता से भी की थी, लेकिन समाज में बदनामी के डर से उन्होंने आगे कदम नहीं उठाया। इसके बाद जब शाहरुख ज्यादा परेशान करने लगा तो वो पुलिस में शिकायत करने पहुंचे, लेकिन शाहरुख के बड़े भाई ने मांफी मांग ली। और कहा कि वो अब ऐसा नहीं करेगा। कुछ दिन शांत रहने के बाद उसकी हरकतें फिर शुरू हो गईं। बीते 15 दिनों से वो अंकिता को कुछ ज्यादा ही परेशान कर रहा था, जिसके बाद उसके इस घटना को अंजाम दे डाला। पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार किया तो उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं था। उलटा वो हंसते हुए दिखाई दे रहा था। साथ ही उसकी बॉडी लैंग्वेज भी ऐसी थी जिसे देखकर किसी का भी खून खौल जाए।

उधर दुमका में अंकिता का सोमवार सुबह अंतिम संस्कार कर दिया गया। उसके दादा ने उसे मुखाग्नि दी। कड़ी सुरक्षा में उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। रविवार की सुबह जब उसकी मौत की खबर आई तो दुमका में तनाव की स्थिति बन गई। दुकान-बाजार बंद हो गए। गुस्साए लोग सड़कों पर उतर गए और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

23 अगस्त को पेट्रोल से जला दिए जाने की घटना के दिन से ही लोग आक्रोशित थे। अब मौत की खबर सुनते ही लोगों का जमावड़ा अंकिता के जरुवाडीह स्थित आवास पर लग गया। मुहल्ले के लोगों के साथ ही जिला भाजपा महिला मोर्चा,बजरंग दल,विश्व हिन्दू परिषद और भाजयुमो के कार्यकर्ताओं का का जुटान हो गया। दुमका बंद करने की घोषणा हुई। करीब 11 बजे से आक्रोशित लोग पुलिस प्रशासन के विरोध में और अंकिता के हत्या के आरोपी शाहरुख को फांसी दिलाने की मांग को लेकर शहर में प्रदर्शन शुरू कर दिया। अंकिता के मुहल्ले जरुवाडीह से लेकर दुधानी टावर चौक तक दिन पर लोग पुलिस के खिलाफ धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी करते रहे।

 

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH