लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जेल में बंद माफिया अतीक अहमद (Ateek Ahmed) को एकबार फिर तगड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने अतीक अहमद के तीन गुर्गों जफरुल्लाह, जकी अहमद व मोहम्मद फारुख की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने, मारने-पीटने व विभिन्न दस्तावेजों पर जबरन दस्तखत करा लेने के मामले में सपा के पूर्व सांसद बाहुबली माफिया अतीक अहमद के तीन गुर्गों जफरुल्लाह, जकी अहमद व मोहम्मद फारुख की जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए मामले का ट्रायल एक वर्ष में पूरा करने का आदेश भी ट्रायल कोर्ट को दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने आरोपियों की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया।
सभी अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार ने दलील दी कि सीबीआई ने लगातार अपने बयानों में सुधार किया है लिहाजा उसके बयानों में विरोधाभास है। वहीं सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि अतीक अहमद समेत इस घटना में शामिल सभी अभियुक्त खतरनाक अपराधी हैं जिनकी वजह से तमाम गवाहों को विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत रखा गया है। मामले की गम्भीरता को ही देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को मामले की विवेचना का आदेश दिया था।
क्या है पूरा मामला
अतीक के गुर्गो ने कारोबारी मोहित जायसवाल की एसयूवी गाड़ी लूट ली थी व कारोबारी को लोहे की राड से पीटकर बेहोश करके उसकी संपत्ति उसी बेहोशी की हालत में अपने नाम करा ली थी। 29 दिसंबर, 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक देवरिया जेल में निरुद्ध अतीक ने अपने गुर्गो के जरिए गोमती नगर से उसका अपहरण करा लिया।
तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया। अतीक ने उसे एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा। उसने इंकार कर दिया, इस पर अतीक ने अपने बेटे उमर तथा गुर्गे गुफरान, फारुख, गुलाम व इरफान के साथ मिलकर उसे तंमचे व लोहे की राड से बेतहाशा पीटा। उसके बेसुध होते ही अतीक के गुर्गो ने कारोबारी की एसयूवी गाड़ी लूट ली फिर स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की सम्पति अपने नाम करा ली।