नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच तवांग में एलएसी पर हुई झड़प के बाद राहुल गांधी या विपक्षी दल चाहे जो कहें, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के एक थिंक टैंक ने जो सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं उससे साफ़ हो जाता है कि भारतीय सैनिक अपनी पोजिशन पर डटे हुए हैं। न तो वे पिटे हैं और न ही अपनी पोजिशन से हटे हैं। ये तस्वीरें तवांग में उसी जगह की हैं जहां पर 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों के साथ झड़प हुई थी और भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था। तस्वीरों के जरिए ये भी दावा किया जा रहा है कि 13 हज़ार फीट की ऊंचाई पर भारतीय जवान अपनी पोज़िशन पर डटे हुए हैं। वे एक कदम भी पीछे नहीं हटे हैं। इस जगह पर चीनी सैनिकों का नामो निशान नहीं है।
यह कोई पहला मौका नहीं था जब भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को खदेड़ दिया। बल्कि पिछले साल अक्टूबर से इस साल दिसंबर तक तीन मौकों पर इन इलाकों में चीन के सैनिकों ने सीमा लांघने की कोशिश की लेकिन हर बार उन्हें मुंह की ही खानी पड़ी है। यांग्स्ते रिज सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है और यहीं पर सेला पास है। यहां ऊंचाईयों पर भारतीय जवान डटे हुए हैं।14 दिसंबर की सेटेलाइट तस्वीर को गौर से देखने पर सच और झूठ के फर्क को साफ-साफ नजर आ जाता है। आस्ट्रेलिया के डिफेंस थिंक टैंक ने इस सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषण के बाद बताया है कि भारतीय सैनिक न केवल अपनी पोजिशन पर डटे हुए हैं बल्कि इलाके में उनकी स्थिति दिन पर दिन मज़बूत होती जा रही है। भारत LAC पर लगातार सामरिक स्ट्रक्टर बढ़ा रहा है।
वहीँ खबर ये भी सामने आ रही है भारत की जल्द ही चीन बॉर्डर पर लाइट वेट जोरावर टैंक तैनात कर सकता हैं. भारतीय सेना ने इसको लेकर रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है. इस हफ्ते के अंत में होने वाली रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में इसको लेकर चर्चा हो सकती है. रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक में मेक इन इंडिया के तहत 354 लाइट वेट जोरावर टैंक खरीदने के प्रस्ताव पर चर्चा होगी.
इन हल्के टैंकों का नाम उस दिग्गज जनरल के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने तिब्बत में कई सफल जीत का नेतृत्व किया और अब उन इलाकों पर चीनी सेना का नियंत्रण है. भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि लाइट टैंकों के आने से मध्यम युद्धक टैंकों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है और इन टॉयकों को किसी भी दुग्राम इलाके में तैनात किया जा सकता है। इससे भारतीय सेना को इमरजेंसी में मदद मिलेगी.भारतीय सेना के पास मौजूद सभी टैंक काफी भारी हैं और उन्हें मैदानी इलाकों के अलावा रेगिस्तान में तैनान किया जा सकता है. भारतीय सेना के पास मौजूद रूसी टी-72, टी-90 और स्वदेशी अर्जुन टैंकों का वजन करीब 45-70 टन है, जिनको पहाड़ी इलाकों में तैनात करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. वहीं, लाइट वेट जोरावर टैंक करीब 25 टन के होंगे और पहाड़ों पर आसानी से तैनात किए जा सकते हैं।