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सर्दियों में इस तरह बढ़ाएं रोगों से लड़ने की क्षमता

नई दिल्ली। आयुर्वेद में कहा जाता है कि सर्दियों में आप अपनी सेहत को सही रख सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सर्दी के मौसम में आप अपनी रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं जिससे पूरे वर्ष आप चुस्त, दुरुस्त और तंदरुस्‍त रह सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे जरूरी है अपने खान-पान और रहन-सहन को देसी खुराक देने की।

सर्दी के मौसम का भरपूर फायदा उठाने के लिए दो चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। एक, आहार कैसा हो और दूसरा विहार कैसा हो। सामान्य शब्दों में कहें तो खान-पान और रहन-सहन। जैसे-जैसे ठंड बढ़े, वैसे-वैसे खान-पान में परिवर्तन करना शुरू कर देना चाहिए।

बाहरी तापमान से तालमेल बैठाने के लिए इस मौसम में शरीर का भीतरी तंत्र ज्यादा मुस्तैदी से काम करने लगता है। बाहर पड़ रही शीत का संपर्क हमारी त्वचा से बना रहता है तो शरीर के भीतर मौजूद जठराग्नि प्रबल हो जाती है और इस तरह सर्दियां शरीर की पाचन-शक्ति में इजाफा कर देती हैं। बाकी मौसमों की तुलना में हमारा शरीर खाए-पिए को अच्छे से ग्रहण कर पाता है।

आलस से बचें

सर्दी के मौसम में आलस से बचना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार आलस वात प्रकृति के लोगों का सबसे बड़ा दुश्मन है। गर्मी के ठीक विपरीत सर्दी में दिन में सोने की आदत नहीं बनानी चाहिए, अन्यथा शरीर में भारीपन, सर्दी-जुकाम आदि का आक्रमण आसानी से हो सकता है। शीतकाल में रातें लंबी होती हैं यानी प्रकृति ही हमें लंबे विश्राम का वक्त देती है। विश्राम के इस समय को कम नहीं करना चाहिए। भरपूर नींद लें।

हाजमा सही रखें

देर रात में भोजन न करें और भोजन कर लें तो ज्यादा देर तक जगें नहीं। ठंड की शुरुआत होने पर खाने में घी, दूध, मलाई, उड़द की दाल, तिल जैसी चिकनाई वाली और पौष्टिक चीजों का सेवन करना शुरू कर दें।

भोजन से दस-पंद्रह मिनट पहले करीब दस ग्राम अदरक के छोटे टुकड़ों पर सेंधा नमक छिड़क कर चबा-चबा कर खाएं। इससे भूख खुलती है, तेज ठंड से बचाव होता है और प्रदूषण का असर भी शरीर पर कम होता है।

सर्दी में ज्यादा समय तक खाली पेट न रहें। वैसे भी भारतीय परिस्थितियों में सर्दी के दिनों में शरीर को आमतौर पर ज्यादा कैलरी की जरूरत पड़ती है। गुड़, मूंगफली और तिल की पट्टी व सूखे मेवे इस मौसम के लिए भरपूर ऊर्जा के स्रोत हैं।

याद रखें, हाजमा दुरुस्त हो तो ही पौष्टिक और गरिष्ठ चीजें खाएं, वरना पहले हाजमा ठीक करें। प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके से एनिमा लिया जाय तो पाचनशक्ति को मदद मिलती है। आधा चम्मच छोटी हरड़ का चूर्ण रात में गुनगुने पानी से कुछ दिनों तक लेने से कब्ज खत्म होता है और पाचन को बल मिलता है। सवेरे गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर पीने से भी पाचन ठीक रहता है।

व्यायाम करना न छोड़ें

सर्दी के मौसम में शरीर के अंगों को भरपूर हरकत देने पर भी ध्यान देना चाहिए। स्वस्थ लोग भारी व्यायाम कर सकते हैं, पर सामान्य लोगों को भी हल्का-फुल्का व्यायाम करना चाहिए। करीब सभी तरह के आसन इस मौसम के लिए उपयुक्त हैं, पर प्राणायामों में शीतली-शीतकारी प्राणायाम नहीं करने चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में ठंड का आभास होता है।

इस समय भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम के साथ सूर्यभेदी प्राणायाम करना चाहिए। धूप में बैठ कर तेल की मालिश करना शरीर को विटामिन-डी देने का बढ़िया तरीका है। त्वचा निरोग रहती है। मांसपेशियों को ताकत मिलती है। मालिश के लिए सरसों, तिल या जैतून का तेल लें।

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