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पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ’ के संदेश के साथ 22 जुलाई को प्रदेश मनाएगा ‘वन महोत्सव’: मुख्यमंत्री योगी

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मंगलवार को मंत्रिमंडल की विशेष बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में मुख्यमंत्री जी ने वन महोत्सव-2023 के सफल आयोजन की कार्ययोजना पर विमर्श कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए…

● प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा वाले उत्तर प्रदेश में वन महोत्सव अब जनांदोलन का स्वरूप ले चुका है। विगत 06 वर्षों में 131 करोड़ से अधिक पौधरोपण किया जा चुका है। इस कार्य में व्यापक जनसहयोग प्राप्त हुआ है। वर्ष 2017-18 में 5.72 करोड़, 2018-19 में 11.77 करोड़, 2019-20 में 22.60 करोड़, 2020-21 में 25.87 करोड़, 2021-22 में 30.53 करोड़ और 2022-23 में 35.49 करोड़ पौधे लगाए गए। यह सुखद है कि पौधे लगाने के साथ-साथ इनके संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

● विगत 01 से 07 जुलाई तक आयोजित जागरूकता सप्ताह के दौरान आम जन में बड़ा उत्साह देखा गया। यह उत्साह इस वर्ष के ‘वन महोत्सव’ को सफल बनाने का आधार बनेगा। आमजन की अधिकधिक सहभागिता से ही ‘हरित उत्तर प्रदेश’ का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। विद्यालयों में प्रभात फेरी, स्लोगन, निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, दीवार लेखन जैसे कार्यक्रम सतत जारी रखे जाने चाहिए।

● प्रदेश में वर्षाकाल प्रारंभ हो चुका है। यह मौसम पौधरोपण के लिए आदर्श समय है। जागरूकता सप्ताह के सफल आयोजन के बाद अब हम 22 जुलाई को ‘वन महोत्सव’ के रूप में वृहद पौधरोपण के कार्यक्रम से जुड़ना होगा। भरपूर उत्साह, उमंग के साथ विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी पौधरोपण का नवीन रिकॉर्ड बनाने को तैयार हैं।

● इस वर्ष वृहद पौधरोपण अभियान में 35 करोड़ पौधे लगाए जाने का लक्ष्य लेकर हर विभाग, हर संस्थान हर नागरिक को प्रयास करना होगा। वन विभाग द्वारा विभागवार पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। मंडलवार लक्ष्य भी तय किए गए हैं। हर गांव में कम से कम 01 हजार पौधे लगाने का प्रयास हो। 15 अगस्त के दिन एक साथ 05 करोड़ पौधे लगाए जाने की तैयारी करें।

● पौधरोपण के लिए वन भूमि, ग्राम पंचायत एवं सामुदायिक भूमि, एक्सप्रेस-वे, हाई-वे/04 लेन सड़क, नहर, विकास प्राधिकरणों की भूमि, रेलवे की भूमि, चिकित्सा संस्थान, शिक्षण संस्थान की भूमि के साथ-साथ, नागरिकों द्वारा निजी परिसरों का उपयोग किया जा सकता है।

● ग्रामीण क्षेत्रों में खेल के मैदान के चारों ओर पौधारोपण किया जाए। ग्राम पंचायत स्तर पर न्यूनतम 01 हजार पौधे लगाए जाएं। शहरी वार्डों में भी पौधारोपण के लिए लक्ष्य निर्धारित करें। गोशालाओं में पौधरोपण कराएं, साथ ही पौधे की सुरक्षा के लिए ट्री-गॉर्ड भी लगवाएं। निजी क्षेत्रों, एनजीओ, धार्मिक/सामाजिक संस्थाओं को जोड़ें।

● वृहद पौधरोपण अभियान की सफलता के लिए पौधों की उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा समय से सभी आवश्यक प्रबंध कर लिए जाएं। हाईटेक नर्सरी तैयार करें। हर किसी को उच्च गुणवत्ता के पौधे सुलभता से मिल सकें, इसके लिए विधिवत तैयारी और प्रचार-प्रसार किया जाए। पौधारोपण स्थलों की जियो टैगिंग की जाए।

● महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत निजी खेत की मेड़ पर पौधरोपण को प्रोत्साहित करते हुए ‘मुख्यमंत्री कृषक वृक्ष धन’ योजना के रूप में किसान और पर्यावरण के हित में अत्यंत उपयोगी योजना संचालित है। इस योजना अंतर्गत मनरेगा के लाभार्थी यदि अपनी भूमि पर यदि न्यूनतम 200 पौधे लगाकर उनका संरक्षण करता है तो उसे राज्य सरकार द्वारा तीन वर्ष में ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि प्रदान किए जाने की व्यवस्था है। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए किसानों को लाभान्वित कराएं। इससे पौधरोपण भी होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी। यह प्रयास ‘खेत पर मेड़-मेड़ पर पेड़’ के संदेश को चरितार्थ करने वाला होगा।

● व्यापक जनसहयोग से प्रदेश के कुल हरित क्षेत्र में सतत वृद्धि हो रही है। हमारा लक्ष्य प्रदेश के कुल हरित क्षेत्र को वर्तमान के 9% से बढ़ाकर 2026-27 तक 15% तक ले जाने का है। इस लक्ष्य के अनुरूप में अगले 05 वर्ष में 175 करोड़ पौधे लगाने और संरक्षित करने होंगे। इस लक्ष्य के अनुरूप सभी को प्रयास करना होगा। इसके लिए ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ’ के संदेश से को जन-जन को जोड़ने की आवश्यकता है।

● 22 जुलाई को ‘वन महोत्सव’ के अवसर पर सभी सभी माननीय प्रभारी मंत्रीगण अपने प्रभार वाले जनपद के भ्रमण पर रहें। वहां स्थानीय जनप्रतिनिधियों व स्थानीय जनता के साथ मिलकर पौधरोपण के अभियान को आगे बढ़ाएं। जहां मंत्रीगणों की उपस्थिति नहीं हो पा रही है, वहां नोडल अधिकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पौधरोपण को सफल बनाएं।

● विगत वर्षों में बनाए गए ‘खाद्य वन, बाल वन, नगर वन, अमृत वन, युवा वन और शक्ति वन’ जैसे नियोजित पौधरोपण के प्रयास इस वर्ष भी किए जाने चाहिए। हरीतिमा बढ़ाने में ऐसे वन अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं।

● गंगा, यमुना, सरयू सहित विविध नदियों के तटवर्ती क्षेत्रों में सघन पौधरोपण के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए। इस कार्यक्रम से जुड़ने वाले लोगों को के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जानी चाहिए।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH