नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ ख़ुशी जताई। हालांकि इस दौरान उन्होंने एक चिंता भी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं कि भारतीय महिलाएं पिछले 13 सालों से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों को मिलने का इंतजार कर रही हैं. अब उनको कुछ और साल इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है. कितने साल? क्या भारतीय नारियों के साथ यह बरताव उचित है? कांग्रेस मांग करती है कि इस बिल को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
सोनिया गांधी ने कहा कि यह मेरे पूरे जीवन का सबसे ज्यादा भावुक पल है। सबसे पहली बार मेरे पति राजीव गांधी स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं के रिप्रेंजेटेशन के लिए संविधान में संशोधन का बिल लाए थे। लेकिन यह बिल राज्यसभा में केवल सात वोटों से गिर गया। बाद में कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में यह बिल राज्यसभा से पास हो सका। परिणास्वरूप हमारे देश में 15 लाख से भी ज्यादा महिलाएं स्थानीय चुनाव में प्रतिनिधि चुनकर आईं। हालांकि राजीव गांधी का सपना इस बिल के पास होने के बाद ही पूरा होगा।
महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक महिलाओं की गरिमा के साथ-साथ अवसरों की समानता को भी बढ़ाएगा। महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा। इसके चार महत्वपूर्ण खंड हैं।