नई दिल्ली| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद की 16 जनवरी की अगली बैठक में दो विवादास्पद मुद्दों एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) और दोहरे नियंत्रण के मुद्दे का समाधान हो जाने की उम्मीद है। जेटली ने यहां जीएसटी परिषद की दो दिन तक चली बैठक की समाप्ति के बाद संवाददाताओं से कहा, “हमें पता है यह कठिन है, हम समय से पीछे चल रहे हैं। दोहरे नियंत्रण का मुद्दा एक जटिल मामला है। हमने इस पर विचार के लिए 16 जनवरी को मिलने का फैसला किया है ताकि इसका हल निकाला जा सके।”
उन्होंने कहा, “हम मसौदा कानून में अवरोधों पर विचार विमर्श करेंगे। इनमें मुख्यत: दो मुद्दों पर मतभेद है। पहला शब्द ‘इलाके’ की परिभाषा से संबंधित है (आईजीएसटी में) और दूसरा दोहरे नियंत्रण का मामला है।”
अब तक जीएसटी परिषद की आठ बैठकें हो चुकी है, लेकिन केंद्र और राज्यों के बीच दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई है। इसका कारण यह है कि कुछ मामलों में जीएसटी का निर्धारण और इसका नियंत्रण किसके पास हो, केंद्र सरकार के पास हो या राज्यों के पास हो, इस पर सहमति नहीं बन पाई है क्योंकि कोई भी अपने अधिकार को छोड़ना नहीं चाहता।
राज्य चाहते हैं कि डेढ़ करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाले (केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वर्तमान सीमा) उद्यमों पर कर लगाने का अधिकार उनके नियंत्रण में हो, और इनमें सेवा करदाता भी शामिल हैं।
जीएसटी की बैठक में नोटबंदी के बाद से राज्यों के राजस्व का मसला भी उठाया गया। जेटली ने कहा कि राज्यों ने नवंबर के आंकड़ों के आधार पर दिसंबर के राजस्व आंकड़ों का अनुमान सामने रखा है, जबकि नवंबर में नोटबंदी की गई थी।
जेटली ने कहा, “कई सारे राज्यों के वित्तमंत्रियों ने जानकारी दी कि किस प्रकार से नोटबंदी के बाद उनके राजस्व में बढ़ोतरी हुई है। हमने इस संबंध में विस्तृत जानकारी की मांग की है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या नोटबंदी के कारण राज्यों के राजस्व पर असर पड़ा है, जेटली ने कहा कि यह जानकारी वे अगली तिमाही के आंकड़े सामने आने के बाद ही दे पाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा, “इससे अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को एकीकृत करने में मदद मिलेगी, जिससे राजस्व में बढ़ोतरी होगी।”
वित्त मंत्री ने कहा, “इस साल राजस्व में बढ़ोतरी हुई है और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों की बजट अनुमान से अधिक वसूली हुई है।”