लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में गंगा नदी में डूबे स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्यवर्धन सिंह उर्फ गौरव का शव 9 दिन बाद गंगा बैराज के गेट में फंसा मिला। सोमवार सुबह गोताखोरों की टीम ने उनका शव गंगा बैराज से बरामद किया। हादसे के बाद आदित्यवर्धन की तलाश के लिए NDRF, SDRF और पीएसी के जवान सर्च ऑपरेशन चला रहे थे। करीब 45 किमी गंगा में उनकी तलाश की गई। ड्रोन से भी इलाके को खंगाला गया। हालांकि, 7 दिन तक सर्च ऑपरेशन के दौरान उनका शव नहीं मिला था। हालांकि आज उनका शव बैराज के गेट में फंस हुआ मिला है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर दोस्तों संग गंगा में नहाते समय डूब गए थे। दोस्तों ने उन्हें डूबता देख मौके पर मौजूद गोताखोरों को बुलाकर मदद की गुहार लगाई। लेकिन गोताखोरों ने पहले 10 हजार रुपए की डिमांड की। दोस्तों ने हाथ पैर जोड़े। लेकिन गोताखोरों ने एक नहीं सुनी। 10 हजार ऑनलाइन ट्रांसफर के बाद गोताखोरों ने नदी में छलांग लगाई। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
बता दें कि बनारस में स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात आदित्यवर्धन सिंह उर्फ गौरव मूल रूप से उन्नाव जिले के बांगरमऊ क्षेत्र के गांव कबीरपुर के रहने वाले हैं। उनका पूरा परिवार लखनऊ के 16/1435 इंदिरानगर में रहता है। बीते दिनों वह मोहल्ले के ही दो दोस्तों प्रदीप तिवारी और योगेश्वर मिश्रा के साथ कार से लखनऊ से चलकर बांगरमऊ के नानामऊ क्षेत्र में पहुंचे। यहां वह बिल्हौर क्षेत्र में नानामऊ गांव के पास गंगा स्नान कर रहे थे, तभी अचानक पैर फिसलने वह गहरे पानी में समा गए। उनके डूबने की जानकारी मिलने के बाद कानपुर प्रशासन मोटर चलित बोट और स्थानीय गोताखोरों की मदद से उनकी तलाश में जुटा रहा लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
बताया जा रहा है कि घटना के समय मौके पर मौजूद उनके दोस्त प्रदीप तिवारी बचाव के लिए चिल्लाए। इस दौरान मौके पर मौजूद एक स्थानीय तैराक ने आदित्यवर्धन को डूबने से बचाने के लिए 10,000 रुपये की मांग की। इस दौरान प्रदीप तिवारी ने आनन-फानन में किसी तरह से मोबाइल के जरिए स्थानीय निवासी द्वारा बताए गए खाते पर सुनील कश्यप नामक व्यक्ति के खाते में 10,000 रुपए भी भेज दिए गए। उन्होंने इसका साक्ष्य भी दिखाया है। हालांकि जब तक उन्होंने ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर किया, तब तक वह गहरे पानी में लापता हो गए। ये भी कहा जा रहा है कि अगर समय रहते उन्हें बचाने का प्रयास किया गया होता, तो वह डूबने से बच जाते।