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हम जहां भी जाते हैं, सबको परिवार मानकर उनसे घुल मिल जाते हैं, अमेरिका में बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विविधता को समझना और फिर उसे जीवन में उतारना हमारे संस्कारों में है। हम जहां भी जाते हैं, सबको परिवार मानकर उनसे घुल मिल जाते हैं। डायवर्सिटी को समझना, जीना, उसे अपने जीवन में उतारना हमारे संस्कारों में है। पीएम मोदी ने कहा कि कोई तमिल बोलता है,कोई तेलुगु, कोई मलयालम, तो कोई कन्नड़, कोई पंजाबी, कोई मराठी, तो कोई गुजराती,भाषा अनेक हैं, लेकिन भाव एक है और वो भाव है- भारतीयता।

दुनिया के साथ जुड़ने के लिए ये हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यही वैल्यूज हमें सहज रूप से ही विश्व-बंध बनाती है। मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, वहां भारतीय प्रवासियों की तारीफ सुनता हूं। प्रवासियों भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि तीसरी बार हमारी सरकार की वापसी हुई है। ऐसा पिछले साठ वर्षों में भारत में नहीं हुआ था। भारत की जनता ने इतना बड़ा जनादेश दिया है।

देश ने बहुत भरोसा कर तीसरी बार मुझे जिम्मेदारी है। हमें तीन गुना ताकत और तीन गुना गति से आगे बढ़ना है। यह दौर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का है। उन्होंने कहा कि कल ही प्रेसिडेंट जो बाइडेन मुझे अपने घर ले गए थे, उनकी आत्मीयता, उनकी गर्मजोशी… मेरे लिए दिल छू लेने वाला मोमेंट रहा। यह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों का है, यह सम्मान आपका है और आपके पुरुषार्थ का है। मैं प्रेसिडेंट बाइडेन और आपका आभार व्यक्त करूंगा। उन्होंने कहा कि 2024 पूरी दुनिया के लिए अहम है, क्योंकि दुनिया के कई देशों के बीच संघर्ष है, तो कई देशों में डेमोक्रेसी का जश्न है। भारत और अमेरिका इस जश्न में साथ हैं। पीएम मोदी ने कहा कि अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं और भारत में चुनाव हो चुके हैं।

भारत में हुए इलेक्शन ह्यूमन हिस्ट्री के अब तक के सबसे बड़े चुनाव थे। अमेरिका की कुल आबादी से करीब दोगुना वोटर्स। बल्कि पूरे यूरोप की कुल आबादी से ज्यादा वोटर्स ने भारत में अपना वोट डाला। जब हम भारत की डेमोक्रेसी का स्केल देखते हैं तो गर्व होता है। तीसरे टर्म में हमें बहुत बड़े लक्ष्य को साधना है। हमें तीन गुना ताकत और तीन गुना गति के साथ आगे बढ़ना है। मैं भारत का पहला प्रधानमंत्री हूं, जिसका जन्म आजादी के बाद हुआ। स्वतंत्रता संग्राम के लिए मरना हमारे नसीब में नहीं था, जीना हमारे नसीब में है। मैं स्वराज के लिए जीवन नहीं दे पाया, लेकिन मैंने तय किया कि इस मिले स्वराज को संवारने और समृद्ध भारत के लिए सबकुछ करूंगा।

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BRIJESH SINGH
the authorBRIJESH SINGH