प्रयागराज। प्रयागराज में 2025 में आयोजित होने जा रहे महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के कुंभ नगरी पहुंचने का का अनुमान है। प्रदेश की योगी सरकार और केंद्र सरकार भी इस आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आवागमन के लिए दिन रात तैयारियां कर रही हैं। रेल मार्ग से वाराणसी से प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं के लिए गंगा नदी पर बनकर तैयार हो रहा नया रेलवे सेतु आगंतुकों का सफर आसान करेगा।
495 करोड़ के बजट से बने रेल सेतु में दिसंबर से रेल परिवहन होगा शुरू
महाकुंभ 2025 में सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के सड़क परिवहन से कुंभ नगरी पहुंचने का अनुमान है। सड़क परिवहन के बाद सबसे अधिक लोग रेल मार्ग से ही प्रयागराज पहुचेंगे। इस बार लगभग 10 करोड़ लोगों के ट्रेन के जरिये महाकुंभ पहुचंने का अनुमान है। रेलवे की तरफ से भी इसे लेकर तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं। एक तरफ जहां रेलवे स्टेशनों और ट्रेन की संख्या बढ़ाई जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ रेल मार्ग में सेतुओं का निर्माण कर भीड़ का दबाव कम करने का प्रयास हो रहा है। वाराणसी से प्रयागराज के बीच रेलमार्ग को सुगम बनाने के लिए दारागंज से झूंसी के बीच नए रेल पुल का निर्माण पूरा हो चुका है। बस पुल में रेलवे ट्रैक बिछाने और गिट्टी डालने का कार्य शेष है। रेल विकास निगम लिमिटेड इसका निर्माण कर रहा है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर विनय अग्रवाल के मुताबिक 495 करोड़ की लागत से इस पुल का निर्माण हुआ है जो दिसम्बर तक रेल परिवहन के लिए खोल दिया जाएगा।
2700 मीटर लंबे पुल में डबल ट्रैक से कम होगा दबाव
प्रयागराज रामबाग- वाराणसी रेल मार्ग में गंगा नदी पर अभी तक केवल एक ही रेल पुल था जिसमें सिंगल ट्रैक होने की वजह से झूंसी और राम बाग रेलवे स्टेशन में ट्रेन को देर तक रोकना पड़ता था। लेकिन अब इस 2700 मीटर लंबे नए रेल पुल के बन जाने से रेल यात्रियों को इंतजार नहीं करना होगा क्योंकि यह डबल ट्रैक वाला रेल पुल है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर विनय अग्रवाल बताते हैं कि कुंभ के प्रमुख पर्वों के दौरान वाराणसी मार्ग से आने वाले रेल यात्रियों को झूंसी स्टेशन में ही उतारकर कुंभ क्षेत्र ले जाने की योजना पर राज्य सरकार से विचार चल रहा है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन में होल्डिंग एरिया का भी निर्माण हो रहा है। लेकिन गैर पर्व के दिनों में ट्रेनों के अप एंड डाउन में इस नए रेल पुल का बड़ा योगदान होगा। इससे स्टेशनों पर यात्रियों का दबाव कम होगा और समय की बचत होगी।