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‘चीता’ ने भरी हुंकार, कहा- कश्मीर को मेरी जरूरत

कमांडिंग ऑफिसर चेतन चीता, कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित, कोबरा टीम का हिस्सा, 9 गोली लगी थीं चेतन चीता कोchetan cheetah

घाटी के हालात पर चिंतित हैं जांबाज कमांडो चेतन चीता

नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकियों की नौ गोलियां लगने के बावजूद भी मौत को मात देने वाले सीआरपीएफ के कमांडिंग ऑफिसर चेतन चीता कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित है। चेतन चीता ने कहा है कि उन्हें लगता हैं कि कश्मीर में उनकी जरूरत है, उन्हें वहां होना चाहिए।

कमांडिंग ऑफिसर चेतन चीता, कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित, कोबरा टीम का हिस्सा, 9 गोली लगी थीं चेतन चीता को
chetan cheetah

एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान चेतन चीता ने कहा वह कोबरा टीम का हिस्सा बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इतनी सारी गोलियां खाने का बाद भी मैं यहां आपके सामने बैठा हूं, पर अभी भी लगता है कि मेरा कोई काम अधूरा है। यह इसलिये है कि मैं कुछ खास ही हूं।

कौन है चेतन कुमार चीता?

सीआरपीएफ के 45 वें बटालियन के 45 वर्षीय कमांडिंग ऑफिसर ने 14 फरवरी को बांदीपुरा में हजिन क्षेत्र के पैरे मोहल्ला मुठभेड़ में अपनी टीम का नेतृत्व किया। उत्तर-कश्मीर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में 9 गोली लगने के बाद भी चेतन चीता बहादुरी से आतंकियों से लड़ते रहे।

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पूरी तरह छलनी होने और आंख में गोली लगने के बावजूद चेतन चीता ने 16 राउंड गोलियां चलाई और लश्कर के खतरनाक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी कमांडर अबू हारिस को ढ़ेर कर दिया।

शुरुआत में उन्हें श्रीनगर के आर्मी अस्तपाल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें एयर एंबुलेंस के ज़रिये दिल्ली लाया गया।

एम्स में दो महीने चला चीता का इलाज

दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ट्रॉमा सेंटर में जब उन्हें लाया गया था, तब उनकी हालत बेहद गंभीर थी। उनके सिर में गंभीर चोटें थी। शरीर के ऊपरी हिस्से में कई जगहों पर फ्रैक्चर था, दाईं आंख भी क्षतिग्रस्त थी।

एम्स में पहले से ही तैयार डॉक्टरों की टीम ने कमांडेंट चेतन का इलाज किया। विशेषज्ञों की एक टीम ने ऐंटीबायॉटिक थेरपी के जरिए उनकी देखरेख की थी। दो महीने के इलाज के बाद उनकी स्थिति ठीक हुई है।

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