नई दिल्ली। एक तरफ जहां भारत में भ्रष्टाचार चरम पर है। जहां राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले नेताजी लोगों ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना लिया है। जहां कलर्क से लेकर अधिकारी तक बिना रिश्वत खाए साइन नहीं करते वहीँ एक देश ऐसा भी है जिसने इस मामले में नज़ीर पेश की है। जी, हम बात कर रहे हैं मारीशस की जहां की अधिकांश आबादी भारतीय है। वहां एक दिलचस्प घटना सामने आई है। मॉरीशस की पहली महिला राष्ट्रपति अमीना गुरीब-फकीम पर एक एनजीओ के क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने का आरोप है।
अब अनैतिक तरीके से खरीदारी के आरोपों से घिरीं मॉरीशस की राष्ट्रपति अमीना गुरीब-फकीम को अब इस्तीफा देना पड़ेगा। अमीना पर आरोप है कि उन्होंने एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) की तरफ से जारी किए गए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अपने लिए कपड़े और गहने खरीदने में किया। शुक्रवार को मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनॉथ ने जानकारी दी कि 12 मार्च को मॉरीशस की 50वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद अमीना अपने पद से इस्तीफा दे देंगी।
वहीँ 2015 में मॉरीशस की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं अमीना गुरीब-फकीम ने खुद पर लगे आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने एनजीओ का सारा पैसा वापस कर दिया था। सात मार्च को दिए अपने एक भाषण में उन्होंने कहा था, ‘मुझ पर किसी की देनदारी नहीं है। यह मुद्दा एक साल बाद क्यों उठाया जा रहा है।’
दरअसल, मॉरीशस के एक अखबार ने रिपोर्ट दी थी कि अमीना ने प्लेनेट अर्थ इंस्टीट्यूट नाम के एनजीओ द्वारा जारी किए गए क्रेडिट कार्ड से इटली और दुबई में खरीदारी की थी। यह संस्था शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्कॉलरशिप देती है। अमीना गुरीब-फकीम इस संस्था में अवैतनिक बीतौर निदेशक काम करती थी। हालाकि इस पूरे मामले पर अभी तक संस्था की तरफ से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है।
यह पूरा मामला इसलिए भी अनोखा है क्योकि भारत के परिपेक्ष में ऐसे तमाम वाकये देखने को मिले हैं जब भ्रष्टाचार के आरोपी नेता न सिर्फ कोर्ट से बरी हो जा रहे हैं बल्कि पूरा मामला ही ठंडे बस्ते में चला जाता है।