कानपुर। कानपुर पुलिस ने एक बांग्लादेशी महिला समेत टीम महिलाओं को गिरफ्तार किया है। बांग्लादेशी महिला हिंदू नाम रखकर पिछले छह महीने से कानपुर में रह रही थी जबकि दोनों अन्य महिलाओं पर उसको शरण देने का आरोप है। तीनों को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया जहाँ से उनके जेल भेज दिया गया।
डीसीपी पश्चिम विजय ढुल ने बताया कि मुखबिर से एक बांग्लादेशी युवती के राधापुरम कश्यपनगर में रहने की जानकारी हुई थी। पता चला कि उसे दो महिलाओं ने पनाह दे रखी है। इसी क्रम में बारासिरोही नहर पुल के पास सवारी का इंतजार कर रही युवती और दो महिलाएं मिल गई। पूछताछ में एक महिला ने अपना नाम रीना और पति का नाम भोला बताया। रीना ने बताया कि वह मूल रूप से कोलकाता के 24 परगना नहटी की रहने वाली है और वर्तमान में कल्याणपुर के कश्यप नगर राधापुरम में किराए के मकान में रह रही है।
वहीं दूसरी महिला ने अपना नाम ज्योति निषाद और पति का नाम विनय निषाद बताया। पूछताछ में ज्योति ने बताया कि वह नई दिल्ली के भोगल निजामुद्दीन की रहने वाली है। तीसरी महिला ने अपनी पहचान महफूज अली की बेटी नाजमा उर्फ पूजा बताया। पता चला कि पूछताछ में बताया कि वह मूल रूप से बांगलादेश के सूविला फातियाबाद थाना देवीपार कुमिला की रहने वाली है। नाजमा ने बताया कि वह छह महीने पहले छिपते छिपाते कानपुर आ गई थी। तीनों लंबे समय से कानपुर में रहकर घरों में झाड़ू-पोछा और बर्तन धोने का काम कर गुजारा कर रही हैं। तलाशी के दौरान तीनों के पास से एक पैन कार्ड, डिपेंडेट आईडी कार्ड, पीएनबी एटीएम कार्ड, दो सफेद धातु की अंगूठी, पांच मोबाइल, तीन विजिटिंग कार्ड और 849 रुपये बरामद हुए हैं।
पूछताछ में पता चला है कि रीना पति को छोड़कर काफी समय पहले कानपुर आ गई थी। यहीं उसकी मुलाकात ज्योति से हुई। इसके बाद दोनों साथ रहकर घरों में काम करने लगे। बकौल रीना, कुछ समय पहले नाजमा उन्हें सड़क पर टहलते हुए मिली। चूंकि वह बंगाल की रहने वाली है, ऐसे में बंगाली भाषा में बात कर नाजमा के बारे में जानकारी कर उसे आसरा दे दिया। फिलहाल पुलिस को ये कहानी पच नहीं रही है इसलिए तीनों के बारे में और जानकारी जुटाई जा रही है।