अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में कल 6 दिसंबर काला दिवस के रूप में मनाया गया। बड़ी संख्या में छात्रों ने एएमयू कैंपस में जोरदार प्रदर्शन किया और ‘अल्लाह हू अकबर’ के नारे भी लगाए। प्रदर्शन के दौरान AMU के बाहर डीएसपी सहित एसीएम व पीएसी बल तैनात रहा।
छात्रों ने बताया कि उन्होंने काला दिवस इसलिए मनाया है क्योंकि 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया। सेकुलरिज्म के नाम पर कुछ लोगों ने ताला खुलवाया था और हमारे मस्जिद को शहीद किया गया। यह सब होने के बाद भी मुसलमानों ने इस देश के संविधान का सम्मान रखा है और मुसलमानों ने कोई हिंसा नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने वर्षों बाद जो अयोध्या पर फैसला दिया वह मुसलमानों के लिए न्याय नहीं था।
छात्र अबू सईद ने कहा कि जो आज भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं। उनके पूर्वजों ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया था। हम वह दिन नहीं भूले हैं। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अल्पसंख्यक के अधिकारों को संरक्षित नहीं कर पाया है। यह हिंदुस्तान के इतिहास में एक शर्मनाक दिन है।
जो देश अपने आपको दुनिया का सबसे मजबूत लोकतांत्रिक देश कहता है। उस देश की सबसे बड़ी कोर्ट के वॉयलेशन कर मस्जिद शहीद की जाती है और जो लोग मस्जिद शहीद करते हैं। वह आज सत्ता में बैठे हुए हैं। उन पर कार्रवाई नहीं होती है। छात्रों ने बताया कि हम आने वाली नस्लों को बताएंगे कि अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों को किस तरीके से तोड़ा गया और सेर्कुलर पार्टियां खामोश रही।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रो. वसिम अली ने कहा कि किसी तरह का प्रोटेस्ट नहीं था। कुछ छात्रों ने अपनी पर्सनल भावनाएं व्यक्त की और उसके बाद चले गए। छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट पर भी टिप्पणियां की। प्रॉक्टर ने प्रोटेस्ट मार्च निकालने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि दो चार लोग व्यक्तिगत अपना मना रहे हैं। उससे यूनिवर्सिटी का कोई ताल्लुक नहीं है। इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोई परमिशन नहीं दी है।