प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का पहला केबिनेट विस्तार आज बुधवार शाम को होना है। इससे पहले पुराने मंत्रीयों के इस्तीफों का दौर अब शुरू हो गया है और अबतक 11 मंत्रीयों ने इस्तीफा दे भी दिया है। जिनमें डॉ. हर्षवर्धन, रमेश पोखरियाल निशंक, थावरचंद गहलोत, बाबुल सुप्रियो और संतोष गंगवार समेत कई बड़े नाम शामिल हैं।
डॉ. हर्षवर्धन पर कोरोना की मार– बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने की वजह से उनका पद छीन लिया गया।
बंगाल के लिए देबोश्री का इस्तीफा– पश्चिम बंगाल की रायगंज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद देबोश्री चौधरी ने भी अपना पद छोड़ दिया है। वह महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री थीं। सूत्रों का दावा है कि पश्चिम बंगाल भाजपा में उन्हें अहम पद दिया जा सकता है, जिसके चलते उनसे इस्तीफा लिया गया।
स्वास्थ्य कारणों से हटाए गए निशंक- उत्तराखंड की हरिद्वार लोकसभा सीट से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को भी इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते निशंक को हटाया गया। दरअसल, कुछ दिन पहले उन्हें कोरोना हो गया था, जिसके चलते वह करीब एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे।
बाबुल सुप्रियो को भारी पड़ी नाराजगी– बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से सांसद बाबुल सुप्रियो ने भी इस्तीफा दे दिया। वह पर्यावरण मंत्रालय में राज्य मंत्री थे। दावा किया जा रहा है कि सुप्रियो पार्टी से नाराज चल रहे थे। इसके पीछे पश्चिम बंगाल विधानसभा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जिसमें बाबुल सुप्रियो मैदान में उतरे थे, लेकिन 50 हजार वोटों से हार गए।
सदानंद गौड़ा पर भी कोरोना की मार– कर्नाटक की बेंगलूरू उत्तर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सदानंद गौड़ा ने भी इस्तीफा दे दिया। वह रासायनिक एवं उर्वरक मंत्री थे। सूत्रों के मुताबिक, सदानंद गौड़ा पर कोरोना काल में हुई दवाओं की कमी को लेकर गाज गिरी है, जिसके चलते मोदी सरकार की काफी फजीहत हुई थी।
गंगवार को मिली चिट्ठी भेजने की सजा- उत्तर प्रदेश की बरेली लोकसभा सीट से सांसद संतोष गंगवार को भी पद से हटा दिया गया। वह स्वतंत्र प्रभार से श्रम एवं रोजगार मंत्री थे। बता दें कि कोरोना काल में संतोष गंगवार की लिखी एक चिट्ठी काफी वायरल हुई थी, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी। माना जा रहा है कि गंगवार को उसी चिट्ठी की सजा मिली।
रतन लाल कटारिया ने भी दिया इस्तीफा- जानकारी के मुताबिक, हरियाणा की अंबाला लोकसभा सीट से सांसद रतन लाल कटारिया को भी इस्तीफा देने का फरमान जारी कर दिया गया। वह जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री थे। बताया जा रहा है कि उनकी जगह सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल को मंत्री बनाया जा रहा है।
प्रताप सारंगी को भी छोड़ना पड़ा पद- ओडिशा की बालासोर लोकसभा सीट से सांसद प्रताप सारंगी को भी इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। वह सूक्ष्म, लघु और मध्यम के साथ पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय के राज्य मंत्री थे।
बढ़ती उम्र के चलते थावरचंद का इस्तीफा– सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार की वर्तमान कैबिनेट में सबसे उम्रदराज केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को अपनी बढ़ती उम्र की वजह से पद छोड़ना पड़ा। हालांकि, मोदी सरकार ने उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से सम्मानजनक विदाई दी। गौरतलब है कि मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल यानी 2014 से ही यह तय कर चुकी है कि वह 75 साल से ज्यादा उम्र के किसी भी मंत्री को कैबिनेट में नहीं रखेगी और गहलोत की उम्र अब 73 के पार हो गई थी।