जयपुर। राजस्थान की कोचिंग नगरी कोटा में आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर सीएम अशोक गहलोत ने चिंता व्यक्त की है। कोचिंग संचालकों को फटकार लगानी के साथ साथ सीएम गहलोत ने आत्महत्या की इन घटनाओं को रोकने का सुझाव देने के लिए एक कमेटी बनाने का आदेश अधिकारियों को दिया है। बता दें कि डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना लेकर कोटा आए 21 बच्चों ने पिछले आठ महीने में आत्महत्या कर लिया।
गहलोत ने कहा, कमेटी में कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधि, माता-पिता और डॉक्टर समेत सभी हितधारक शामिल होंगे, यह 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। कोटा में आत्महत्या के मामलों पर एक समीक्षा बैठक में बोलते हुए सीएम गहलोत ने कक्षा नौ और 10वीं में पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ने वाले बोझ का भी जिक्र किया। सीएम गहलोत ने कोचिंग इंस्टीट्यूट के प्रबंधकों के साथ मीटिंग में कहा, मैं कोटा में बच्चों को अब मरते हुए नहीं देख सकता। सिस्टम सुधारिए अब। नौवीं पास बच्चों का वहां स्कूल में एडमिशन दिखाते हैं, डमी क्लास लगती है। बच्चा स्कूल और कोचिंग दोनों साथ में करता है। आईआईटियन बन गया तो कोई खुदा नहीं बन गया बच्चा।
सीएम गहलोत ने कहा, कोचिंग संस्थानों में कक्षा नौ और 10 के छात्रों का नामांकन करने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। क्योंकि उन्हें बोर्ड परीक्षा भी देनी होती है। गहलोत ने कहा, आप नौवीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को बुलाते हैं, आप एक तरह से अपराध कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो आईआईटी खुदा हो। कोचिंग में आते ही छात्रों का फर्जी स्कूलों में नामांकन करा दिया जाता है, यह माता-पिता की भी गलती है। मुख्यमंत्री ने पूछा कि शहर में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले एलन कोचिंग संस्थान से क्यों थे, जब उन्हें बताया गया कि इस साल कोटा में आत्महत्या से मरने वाले 21 छात्रों में से 14 इसी संस्थान से थे। सीएम को यह भी बताया गया कि एलन इंस्टीट्यूट में सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स हैं।
संस्थान के एक प्रतिनिधि ने बैठक के दौरान बताया, कोचिंग संस्थान कक्षा नौ या 10 के छात्रों को नहीं बुलाते हैं लेकिन शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि माता-पिता अपने बच्चों के लिए बेहतर विकल्प चाहते हैं। इस पर गहलोत ने कहा कि वह किसी खास संस्थान को निशाना नहीं बना रहे हैं, बल्कि यह जानना चाहते हैं कि संस्थान में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं क्यों होती हैं?